कोर्ट के फैसले से मीणा को मिली 'संजीवनी'
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में संयुक्त आयुक्त
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली
दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में संयुक्त आयुक्त मुकेश कुमार मीणा के मुखिया के पद पर बने रहने (अगली सुनवाई तक) के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से न केवल उन्हे बड़ी राहत मिली है, बल्कि दिल्ली पुलिस ने भी राहत की सांस ली है। मीणा अब स्वतंत्र होकर अगले डेढ़ माह तक एसीबी का कामकाज देखेंगे। 8 जून को उपराज्यपाल नजीब जंग ने मीणा को एसीबी में प्रमुख पद पर नियुक्त किया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने उनकी नियुक्ति को अवैध बताते हुए काम करने से मना कर दिया था, जिससे वह कामकाज नहीं कर पा रहे थे। एक तरह से हाई कोर्ट का यह फैसला मीणा के लिए संजीवनी की तरह आया।
बता दें कि मीणा का दिल्ली में बने रहने की समयसीमा भी खत्म हो गई थी। उन्हें अरुणाचल प्रदेश का आइजी बनाया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने गृहमंत्रालय से तीन महीने के लिए एक्सटेंशन ले लिया था। एक्सटेंशन की अवधि सात जुलाई को खत्म हो रही है, लेकिन उससे पहले एसीबी प्रमुख के मुद्दे पर केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार में शुरू हुई जंग के कारण यह माना जा रहा है कि गृहमंत्रालय से उन्हें दोबारा लंबे समय के लिए एक्सटेंशन मिल सकता है और काफी समय तक एसीबी प्रमुख रह सकेंगे।
11 अगस्त को इस मसले पर हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है। तब तक डेढ़ महीने में मीणा के मसले पर और भी टकराव बढ़ने के आसार हैं। यह भी माना जा रहा है कि अगले डेढ़ के दौरान एसीबी में अतिरिक्त आयुक्त के पद पर रहे एसएस यादव को दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ आला अधिकारियों के साथ गालीगलौज करने व ड्रामा करने को लेकर गंभीर परिणाम भुगतना पड़े। क्योंकि यादव की नियुक्ति भले ही एसीबी में है किंतु वह दिल्ली कैडर के ही तो हैं।
इन जगहों पर हो चुकी है पोस्टिंग
बता दें कि यादव पहले नागालैंड कैडर के आइपीएस थे। तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने उनका कैडर बदल दिया था, जिसके बाद वह दिल्ली आ गए थे। यहां पहले उन्हें मध्य जिला में एडिशनल डीसीपी बनाया गया। उसके बाद उत्तर-पूर्वी जिला व उत्तरी जिला में डीसीपी के पद पर रहे। इसके बाद एसीबी में जाने से पूर्व वह ट्रैफिक में तैनात थे।
यादव को दिल्ली में हो गए 10 साल
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो यादव करीब दस साल दिल्ली में रह चुके हैं। इसलिए गृहमंत्रालय उन्हें कभी भी दिल्ली से बाहर भेज सकती है। मीणा के अलावा पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी व विशेष आयुक्त कानून एवं व्यवस्था दीपक मिश्रा समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को गाली देने व मीडिया के सामने हंगामा करने के मसले पर यादव के खिलाफ अनुशासनहीनता की भी जांच चल रही है। उसकी रिपोर्ट कभी भी आ सकती है।
सिसोदिया लेकर गए थे प्रस्ताव
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो दिल्ली में आप की सरकार बनने के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जब यादव के नाम का प्रस्ताव लेकर उपराज्यपाल के पास गए, तब उन्होंने सिसोदिया को सुझाव दिया था कि एसीबी में प्रमुख के पद पर नियुक्ति करना ठीक नहीं, लेकिन सिसोदिया की जिद पर उपराज्यपाल ने यादव की नियुक्ति वहां कर दी थी।