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गतिमान की गति में हैं 25 बाधाएं

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली जापान, फ्रांस व चीन की तरह देश में तेज गति की ट्रेन चलाना प्रधानमंत्री

By Edited By: Published: Wed, 03 Jun 2015 01:09 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2015 01:09 AM (IST)
गतिमान की गति में हैं 25 बाधाएं

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

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जापान, फ्रांस व चीन की तरह देश में तेज गति की ट्रेन चलाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है। इसे साकार करने के लिए रेल प्रशासन गतिमान एक्सप्रेस ट्रेन को गति देने में जुट गया है लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है। मंगलवार को इस सेमी हाई स्पीड ट्रेन के ट्रायल रन में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा और ट्रेन 115 मिनट में दिल्ली से आगरा पहुंची। जबकि यह सफर 90 मिनट में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। दरअसल इस रेल खंड पर 25 ऐसी बाधाएं हैं, जहा ट्रेन की गति 30 से 125 किलोमीटर प्रति घटे से ज्यादा नहीं हो सकती है। आगरा से दिल्ली वापसी में ट्रेन को 105 मिनट का समय लगा। दावा किया जा रहा है कि गतिमान एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और यह 90 मिनट में अपनी यात्रा पूरी करेगी। मगर अब तक हुए चार ट्रायल रन में यह संभव नहीं हुआ है।

126 मिनट में पहुंचती है शताब्दी एक्सप्रेस -

इस समय देश में सबसे तेज ट्रेन भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस इसी रेलखंड पर चलती है। इसे दिल्ली से आगरा पहुंचने में 126 मिनट का समय लगता है। इसलिए सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने के लिए इस रेल खंड का चुनाव किया गया है लेकिन इसमें भी कई तरह की परेशानी आ रही है। इसलिए रेल प्रशासन के सामने दिल्ली से आगरा के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाना बड़ी चुनौती है।

लक्ष्य तक पहुंचने में हैं कई बाधाएं

अधिकारियों का कहना है कि आगरा से दिल्ली के लिए जारी गति निर्देश चार्ट में कुल 9 जगहों पर ट्रेन की गति 30 से 125 किलोमीटर प्रतिघटे रखने का निर्देश है। वहीं, दिल्ली से आगरा जाने में कुल 16 जगहों पर ट्रेन की अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रति घटे रखने का निर्देश दिया गया है। इन्हीं निर्देशों के बीच मंगलवार को ट्रेन का ट्रायल रन हुआ। नई दिल्ली से बल्लभगढ़ के बीच ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घटे की रफ्तार से भी नहीं दौड़ सकती। जब तक ये सारी बाधाएं दूर नहीं हो जाती तब तक गतिमान को पूरी गति देना आसान नहीं है।

अधिकारियों का दावा, सफल रहा ट्रायल

रेल प्रशासन मंगलवार को हुए ट्रायल रन को सफल मान रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस ट्रायल रन का ट्रेन की रफ्तार से कोई लेना-देना नहीं था। इसमें कोच की फिटनेस की जाच की गई है जो कि सफल रही है। शीघ्र ही इसके नियमित परिचालन की घोषणा कर दी जाएगी। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि इससे पहले भी तीन ट्रायल रन हुए हैं लेकिन किसी में भी 90 मिनट में सफर पूरा नहीं हुआ है। सबसे कम 101 मिनट में यह दूरी तय हुई है।


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