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संस्कार का पाठ पढ़ाती है मां

बचपन से लेकर आज तक जब भी किसी समस्या में घिरी, मां का साथ हर मोड़ पर था। मेरे सोचने से पहले ही वह समस

By Edited By: Published: Thu, 07 May 2015 01:32 AM (IST)Updated: Thu, 07 May 2015 01:32 AM (IST)
संस्कार का पाठ पढ़ाती है मां

बचपन से लेकर आज तक जब भी किसी समस्या में घिरी, मां का साथ हर मोड़ पर था। मेरे सोचने से पहले ही वह समस्या का समाधान कर देती। मैंने आज तक अपने आपको असहाय महसूस नहीं किया।

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लालन-पोषण व शिक्षा दिलाने के साथ ही मेरी मां उर्मिला ने संस्कार का भी पाठ पढ़ाया। चलना, उठना, बैठना सहित संस्कार के उन तमाम पाठ से रूबरू कराया, जो हर किसी की जिंदगी में आवश्यक होते हैं। मैं अभी बीए तृतीय वर्ष में पढ़ रही हूं। साथ ही घर के नजदीक स्थित स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाती हूं। जब भी मुझे घर आने में थोड़ी देर हो जाती है तो मां बेचैन हो उठती है। जब तक मैं पहुंचती हूं तब तक मोबाइल से कई बार फोन कर चुकी होती हैं।

इस दुनिया में मां की ममता का कोई विकल्प नहीं है। कई बच्चे मां की ममता पाने से वंचित रह जाते हैं। उनका दुख सिर्फ वही समझ सकते हैं। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे मां की ममता मिली। मेरी मां ने बदलते हालात के साथ बहुत कुछ समझाया। मां ने जितने संस्कार दिए हैं उसका पालन मैं जरूर करूंगी।

- कुमारी प्रियंका, संतोष पार्क, उत्तम नगर।


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