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बावली ने दिलाई द्वारका को ऐतिहासिक पहचान

गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली कंक्रीट से बनी ऊंची इमारतों के लिए जानी जाने वाली द्वारका को

By Edited By: Published: Thu, 07 May 2015 12:26 AM (IST)Updated: Thu, 07 May 2015 12:26 AM (IST)
बावली ने दिलाई द्वारका को ऐतिहासिक पहचान

गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली

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कंक्रीट से बनी ऊंची इमारतों के लिए जानी जाने वाली द्वारका को आधुनिक पहचान के साथ-साथ अब ऐतिहासिक पहचान भी मिल गई है। इस ऐतिहासिक पहचान से द्वारका का इतिहास अब महज डेढ़ दशक पुराना नहीं, बल्कि कम से कम तीन शताब्दी पीछे तक पहुंच चुका है। द्वारका को यह ऐतिहासिक पहचान एक मध्यकालीन बावली ने दिलाई है। कुछ दिनों पूर्व ही इस बावली के जीर्णोद्धार का काम पूरा किया गया है। न सिर्फ द्वारका, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इस बावली को देखने पहुंच रहे हैं।

सेक्टर 12 स्थित यह बावली त्रिस्तरीय ढांचे की बनी हुई है। बावली में पानी का श्रोत एक कुंआ था। बावली के जीर्णोद्धार के तहत उत्खनन के दौरान इस कुएं का भी पता चला। बावली का जीर्णोद्धार करने वाली संस्था इंटेक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज) के दिल्ली चैप्टर के कार्यक्रम निदेशक अजय कुमार बताते हैं कि बावली का पुनर्विकास उसके मूल रूप को ध्यान में रखकर ही किया गया है। इसमें सभी ऐतिहासिक पहलूओं को ध्यान में रखा गया है। उन्हीं तरह की सामग्रियों का प्रयोग किया गया है जिससे बावली का मूल रूप एतिहासिक रूप से उजागर हो सके। इंटेक का कहना है कि इस स्थल को एक संपूर्ण पर्यटन स्थल बनाने की कवायद की जा रही है। इस दिशा में विभिन्न एजेंसियों से बात चल रही है। अजय बताते हैं कि बावली के चारों ओर दो से पांच मीटर का क्षेत्र दिल्ली विकास प्राधिकरण से लेने के लिए प्रस्तावित किया गया है, ताकि पूरा इलाका लोगों को आकर्षित कर सके। इंटेक ने स्थल पर एक सूचना पट्ट भी लगाया है जिसमें बावली के बारे में सूचनाएं हैं।

उत्कृष्ट स्थापत्य का नमूना

इंटेक के मुताबिक इस बावली का स्थापत्य अपनी शैली में उत्कृष्ट है। बावली की सीढि़यों का आकार व इसके किनारों पर बने मेहराबों से यह लोदी स्थापत्य की शैली से मिलती जुलती है। ऐसे में यह बावली या तो लोदी कालीन है या फिर उसके बाद के समय की।

चार साल पहले लगा था बावली का पता

द्वारका को ऐतिहासिक पहचान दिलाने वाली बावली वर्षो से बदहाल स्थिति में पड़ी हुई थी। चार साल पूर्व जब मीडिया में ने यह मामला उठाया तब जाकर सरकार ने इसकी सुध ली। छह माह पूर्व ही सरकार ने इसके जीर्णोद्वार का काम इंटेक नामक संस्था को सौंपा है।

बढ़ेगा भूजल स्तर

बावली के विकास के बाद यहां आसपास भूजल स्तर बढ़ने की पूरी उम्मीद है। इंटेक के अनुसार बावली के जल ग्रहण क्षेत्र से जमा पानी बावली के आसपास के भूजल स्तर को उपर उठाएगा। लगातार दो तीन वर्ष तक भूजल स्तर उपर की ओर आने के बाद उम्मीद है कि बावली में भी पानी आ जाएगा।


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