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जान पर भारी वोट की राजनीति

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली वोट के खातिर अवैध निर्माण को बढ़ावा दिल्लीवासियों के जान पर भारी पड़ सक

By Edited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 12:59 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 12:59 AM (IST)
जान पर भारी वोट की राजनीति

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

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वोट के खातिर अवैध निर्माण को बढ़ावा दिल्लीवासियों के जान पर भारी पड़ सकता है। सभी राजनीतिक पार्टियां इस सच्चाई से वाकिफ हैं कि दिल्ली अत्यधिक संवेदनशील सिस्मिक जोन 4 में पड़ता है। इसलिए यहां भूकंप का खतरा बना रहता है। इसके बावजूद वे राजनीतिक लाभ के लिए अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रही हैं। नगर निगम के अधिकारी, पार्षद व पुलिस की मिलीभगत से अवैध निर्माण किया जाता है और नेता इन्हें संरक्षण देते हैं। इससे राजधानी में अवैध कॉलोनियों की भरमार हो गई है।

इस समय 1900 से ज्यादा अवैध कालोनिया इस शहर में बसी हुई हैं। झुग्गी-झोपड़ियों की संख्या भी हजारों में हैं। इन कॉलोनियों में मकानों का निर्माण बगैर किसी योजना के हुआ है। जल्दबाजी में बनने वाली इन इमारतों में घटिया सामग्री का इस्तेमाल होता है। पतली-पतली दीवारों के सहारे तीन-चार मंजिल मकान खड़े कर दिए गए हैं। इनकी बनावट को देखते हुए यह आशंका गलत नहीं है कि यहा रिक्टर स्केल पर सात से आठ फीसद तीव्रता वाला भूकंप आया तो बहुत भारी नुकसान होगा।

अतिसंवेदनशील यमुनापार में भी अवैध निर्माण जारी

सबसे ज्यादा खतरा यमुनापार के इलाकों में है। यहां के इलाकों की जमीन रेतीली है। इसलिए कम तीव्रता के भूकंप के बावजूद भी ज्यादा तबाही मच सकती है। इसके बावजूद इस पूरे इलाके में 80 फीसद से ज्यादा निर्माण अनियोजित तरीके से किए गए हैं। लक्ष्मी नगर, मंडावली, खुरेजी खास सहित अन्य इलाकों में ऐसी संकरी गलियां हैं जहां अग्निशमन की गाड़िया नहीं पहुंच सकती हैं। यहां मकान इस प्रकार बने हुए हैं कि एक मकान को तोड़ने पर बगल वाले मकान के गिरने का खतरा पैदा हो जाता है। राजधानी के शेष इलाकों पर भी तीव्रता वाला भूकंप आने पर बड़े नुकसान का खतरा बना हुआ है।

बढ़ती आबादी से बढ़ी मुसीबत

राजधानी का क्षेत्रफल 1483 वर्ग किलोमीटर है, जबकि आबादी दो करोड़ से ज्यादा। आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। परिणाम यह हुआ कि बेतरतीब तरीके से मकान बनते चले गए और सारे नियम ताक पर रख दिए गए हैं। बढ़ती आबादी से अतिक्रमण की समस्या भी बढ़ी है। बाजार से लेकर कॉलोनियों तक में लोगों ने सड़कों को घेर रखा है। आपदा की सूरत में ऐसे इलाकों में बचाव करना मुश्किल होगा। पुरानी दिल्ली से लेकर पहाड़गंज तक की तंग गलियों में भारी परेशानी हो सकती है।

सभी विभागों को मिलकर करना होगा प्रयास

राजधानी में हर तरफ हो रहे अवैध निर्माण को रोकने के लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा। खासकर पुलिस और दिल्ली नगर निगम को इस पर ज्यादा ध्यान देना होगा। साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, राजनीतिक पार्टियों को दिल्लीवासियों के हित में राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा।

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दिल्ली में भूकंप का खतरे का सबसे बड़ा कारण निर्माण को लेकर नियमों का पालन नहीं किया जाना है। 70 फीसद से अधिक निर्माण भूकंप के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। मास्टर प्लान में भूकंप से बचाव के लिए विस्तार से वर्णन होना चाहिए तथा सरकार को भी इसे लेकर सख्ती बरतनी चाहिए

-केटी रविंद्रन, प्रोफेसर, दिल्ली स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर


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