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संजीव ने हलफनामे में पक्षपात का लगाया आरोप

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एम्स के पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी ने हरियाणा से

By Edited By: Published: Tue, 31 Mar 2015 11:46 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2015 11:46 PM (IST)
संजीव ने हलफनामे में 
पक्षपात का लगाया आरोप

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एम्स के पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी ने हरियाणा से उत्तराखंड काडर चेंज के मामले में सोमवार को कैट में एक नया हलफनामा दायर किया है। उस हलफनामे में उन्होंने केंद्र सरकार के नियुक्ति संबंधी कैबिनेट समिति (एसीसी) कार्य प्रणाली सवाल उठाए हैं और पक्षपात करने का आरोप लगाया है।

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उन्होंने हलफनामे में कहा है कि सरकर ने पिछले नौ महीने में अखिल भारतीय सेवाओं के 29 अधिकारियों के अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति के मामले पर निर्णय दिया है, जिनमें में आधे मामले (14) में नियमों को उलंघन किया गया। सरकार की नियमों के अनुसार अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति के लिए वही अधिकारी पात्र होते हैं, जो नौ से 18 वर्ष के बीच सेवा पूरी कर चुके हैं। किन्तु 14 अधिकारियों के मामले में उस शर्त को दरकिनार किया गया।

हलफनामे में उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सेवा 12 वर्ष की है। इसलिए नियमों के दायरे में आने के बाद भी काडर बदलने के मामले को पिछले छह महीने तक एसीसी में लंबित रखा गया और बाद में दोनों राज्यों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लाने के लिए कहा गया, जबकि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री हरीश रावत की नेतृत्व वाली सरकार अप्रैल, 2014 में अनापत्ति प्रमाण पत्र दे चुकी है। हरियाणा के संबंध में हलफनामे में यूटी (केंद्र शासित) काडर की 2011 बैच की महिला अधिकारी के एक केस का जिक्र किया है, जिनकी हरियाणा में प्रतिनियुक्ति को हरियाणा की पूर्व सरकार द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर मंजूरी दे दी थी। इसके अलावा झारखंड, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के मामलों का हवाला दिया है। जहां सरकार बदलने के बाद अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति के लिए दोबारा अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मांगे गए। संजीव ने हलफनामे में यह भी आरोप लगाया है कि पिछले सात महीने से उन्हें इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा है क्योंकि एम्स में उन भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा किया, जिसमें बड़े अधिकारी शामिल थे और उनका प्रभावशाली नेताओं से गठजोड़ है।


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