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पेयजल संकट

गर्मी में राजधानी को पेयजल संकट से बचाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड कोशिश करता नजर आ रहा है। बोर्ड ने सम

By Edited By: Published: Tue, 31 Mar 2015 11:03 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2015 11:03 PM (IST)
पेयजल संकट

गर्मी में राजधानी को पेयजल संकट से बचाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड कोशिश करता नजर आ रहा है। बोर्ड ने समर एक्शन प्लान तैयार कर लिया है जो दिल्लीवासियों को पेयजल संकट से निजात दिलाने की कोशिश करेगा, लेकिन यह बहुत प्रभावी हो पाएगा, इसमें संदेह ही है। बोर्ड ने टैंकरों के चक्कर बढ़ाने व 78 नए ट्यूबवेल लगाने की योजना बनाई है, लेकिन साथ ही लोगों से पानी संभलकर खर्च करने की अपील भी की है। राष्ट्रीय राजधानी के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है कि गर्मी में यहां जब पानी की मांग बहुत बढ़ जाती है, उस समय भी उसे अतिरिक्त पानी नहीं मिलता। जल संरक्षण के मामले में भी दिल्ली की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। पानी के प्राकृतिक स्त्रोतों की हालत बहुत खराब है। यमुना तो प्रदूषित है ही, कई जोहड़ों पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

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मूनक नहर से कुछ उम्मीद जगी थी कि इसके जरिये हरियाणा से 80 एमजीडी अतिरिक्त पानी मिल सकेगा लेकिन हरियाणा की पानी देने में आनाकानी के कारण राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। यह भी चिंताजनक है कि पल्ला क्षेत्र में 25 ट्यूबवेल बंद पड़े हैं जिनसे दिल्ली को प्रतिदिन भारी मात्रा में पानी की आपूर्ति की जा सकती है। दिल्ली के अनेक इलाकों में अब तक जल बोर्ड पाइपलाइन नहीं बिछा पाया है, ये क्षेत्र अब भी टैंकरों पर निर्भर हैं। जहां पाइपलाइनों के जरिये पानी की आपूर्ति की जाती है, वहां भी पाइपलाइनों के पुराने और जर्जर होने के कारण आपूर्ति बाधित होती है। यह दिल्ली जल बोर्ड का दायित्व है कि वह सभी दिल्लीवासियों को उनकी जरूरत के अनुसार पानी उपलब्ध कराए। बोर्ड द्वारा बनाया गया समर एक्शन प्लान समस्या से निपटने का तात्कालिक प्रयास अवश्य है, लेकिन हर साल होने वाली पेयजल किल्लत से निपटने के लिए सुनियोजित दीर्घकालिक योजना पर भी काम किया जाना चाहिए। हरियाणा से अतिरिक्त पानी हासिल करने के लिए दिल्ली सरकार प्रयासरत है, लेकिन राजधानी में जल संरक्षण की दिशा में भी गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए। यमुना को प्रदूषणमुक्त करने के साथ ही सभी जोहड़ों को अतिक्रमण मुक्त कर उनका संरक्षण किया जाना चाहिए। यदि दिल्ली सरकार व जल बोर्ड इस दिशा में गंभीरता दर्शाते हैं तो इसमें संदेह नहीं कि दिल्ली में पानी का संकट न्यूनतम किया जा सकता है।


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