लालडोरे में बाड़ा बनाने को लेकर पंचायतें ह
फोटो : 31 यूटीएम 6 में -शहर की दर्जनभर पंचायतें दिल्ली के मुख्यमंत्री व सांसद पर दबाव बनाने की तैय
फोटो : 31 यूटीएम 6 में
-शहर की दर्जनभर पंचायतें दिल्ली के मुख्यमंत्री व सांसद पर दबाव बनाने की तैयारी में
-लालडोरा क्षेत्र में पशुओं का बाड़ा बनाए जाने से किसानों की जमीन ग्राम सभा में जाने का रहता है खतरा
-पंद्रह वर्षो से दिल्ली सरकार के पास पड़ी है लालडोरा को बढ़ाने से संबधित फाइल
बिरंचि सिंह, पश्चिमी दिल्ली : एक बार फिर से दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली के गांवों में बसे ग्रामीणों को पशुओं के बाड़े की चिंता सताने लगी है। बढ़ते परिवार के कारण किसानों के पास पशुओं के लिए बाड़े की जगह नहीं बची है। किसानों का कहना है कि यदि वे बिना लाल डोरे के खेती की जमीन पर पशुओं के लिए बाड़ा बनाते हैं तो उनकी जमीन ग्राम सभा में जाने का खतरा बना रहता है।
किसानों की मांग है कि नई सरकार इस पर त्वरित कार्रवाई कर लालडोरा का क्षेत्र बढ़ाए। किसानों का कहना है कि लालडोरा का क्षेत्र बढ़ाने से संबधित फाइल पंद्रह वर्षो से दिल्ली सरकार के पास पड़ी है। लालडोरा का क्षेत्र बढ़ाने के लिए पंचायतें लामबंद होने लगी है।
ग्रामीणों की समस्या यह है कि वे अपने पूर्वजों के द्वारा गांव में बनाए गए मकानों में ही वर्षो से गुजारा कर रहे हैं, जैसे परिवार बढ़ रहा है, वैसे जमीन के साथ मकान भी बंटता जा रहा है। ऐसे में पशुओं को रखने के लिए जगह ही नहीं बची। व्यवसायिक खेती के प्रचलन से पशुओं के लिए चारागाह नहीं बचे, जो पशु बच गए उनके लिए पनाहगाह नहीं मिल रहा है। हालांकि, ग्रामीणों के पास गांव से बाहर लाल डोरा क्षेत्र में इतनी जमीन जरूर उपलब्ध होती है कि वहां पर मवेशियों के लिए अलग से बाड़ा बनाकर रखा जा सकता है, लेकिन पशुपालकों को उस जमीन पर बाड़ा बनाने के साथ ही ग्रामसभा यह जमीन अपने कब्जे में ले लेती है। इसलिए ग्रामीण चाहते हैं कि दिल्ली सरकार एक्ट में संशोधन कर लाल डोरा क्षेत्र में मवेशियों को रखने के लिए बाड़ा बनाने का अधिकार दे।
दिल्ली सरकार से है धारा 33 और धारा 81 में संशोधन की दरकार
धारा 33 और धारा 81 के तहत गांव के लाल डोरा क्षेत्र बुआई को छोड़कर किसी भी तरह की गतिविधि की इजाजत नहीं दी जा सकती। अगर ग्रामीण लाल डोरा क्षेत्र में किसी तरह का निर्माण करते हैं, तो उसे अवैध माना जाएगा। अगर लाल डोरा में मवेशियों के लिए बाड़ा बनाया गया तो, ग्रामसभा इस जमीन पर पूरी तरह कब्जा कर सकती है।
ये पंचायतें हो सकती हैं सक्रिय
पशुओं के बाड़े को लेकर 96 महरौली के प्रधान पृथ्वी सिंह, 117 लोया के प्रधान श्रीचंद मान, 18 के प्रधान भगत स्वरूप, चौगांवा के प्रधान, जयकौर त्यागी, 360 के प्रधान चौधरी किशन चंद पालम सक्रिय हो सकते हैं।
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किसान अपनी जमीन पर पशुओं को नहीं बांध सकते। इसलिए पंचायतें भी चाहती हैं कि केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और पशुओं के बाड़े के लिए लालडोरा में जगह दिलवाए। पंचायतें सांसद से मिलकर मुद्दे को उठाएगी।
-राजकरण काद्यान, सचिव, लोक पंचायत चौगांव
यह सही है कि पशुओं के बाड़े पर अंतिम मोहर गृह मंत्रालय की लगनी है। इसके लिए पंचायतों की ओर से वकालत करने के लिए हम तैयार भी हैं। लेकिन यह तभी संभव है, अगर दिल्ली सरकार इस फाइल को पास कर लेफ्टिनेंट गर्वनर के पास भेजती है और यहां से यह फाइल केंद्र सरकार के पास जाएगा।
-प्रवेश वर्मा, सांसद, पश्चिमी दिल्ली।