'दरिंदों को मिल गई होती फांसी तो न आती ऐसी नौबत'
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : 'यदि मेरी बेटी के हत्यारों को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया होता
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : 'यदि मेरी बेटी के हत्यारों को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया होता तो आज ऐसी नौबत ही नहीं आती। आखिर किस-किस को दोष दिया जाए। कभी दोषी तो कभी उनके वकीलों की ओर से कही गई अनाप-शनाप बातों को खुलेआम लोगों के सामने पेश कर दिया जाता है।' वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषी मुकेश कुमार से तिहाड़ जेल के अंदर साक्षात्कार के बाद पैदा हुए विवाद के बारे में पीड़िता की मां बताती हैं कि यदि इसी तरह दोषियों के साक्षात्कार लिए जाते रहेंगे तो असामाजिक तत्वों के हौसले पहले से अधिक बुलंद होंगे।
वे बताती हैं कि मैंने उस साक्षात्कार के कुछ अंश देखे हैं। उसमें जिस प्रकार से मुकेश बातें कर रहा है वह भयावह है। वह खुलेआम यह कह रहा है कि यदि वह चुप रहती और प्रतिरोध नहीं करती तो उसकी जान नहीं जाती। यह भी कहा कि जो महिलाएं रात में बाहर निकलती हैं, वे बदमाशों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए खुद जिम्मेदार होती हैं। यदि ये बातें लोगों के सामने आ जाएं तो लोगों के बीच क्या संदेश जाएगा? उनका कहना है कि जब तक सरकार ऐसे मुजरिमों को जेल में मेहमान बनाकर रखेगी तब तक न सिर्फ इन दरिंदों का, बल्कि इनके जैसे सोच रखने वाले अपराधियों का भी हौसला बुलंद रहेगा। यदि सरकार सचमुच इस घटना को लेकर गंभीर है तो उसे ऐसे दरिंदों को फांसी के फंदे पर लटकाने में देरी नहीं करनी चाहिए। इन दरिंदों के वकीलों की बात को भी लोगों के सामने लाने पर रोक लगा दिया जाना चाहिए।