दरें बढ़ाने को बिजली कंपनियां बनाएंगी दबाव
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए सोमवार से प्रति माह 400
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए सोमवार से प्रति माह 400 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं के बिल में 50 फीसद की कमी कर दी है। वहीं केंद्र सरकार के बजट में पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए चलने वाले कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए कोयला व अन्य ईंधन पर स्वच्छ ऊर्जा उपकर को बढ़ाकर दो गुना करने का एलान हुआ है। पहले यह 100 रुपये प्रति मीट्रिक टन था, जो बढ़कर अब 200 रुपये कर दिया गया है। इससे कोयला व गैस आधारित बिजली संयंत्रों में बिजली बनाने की लागत बढ़ेगी और इसका हवाला देकर बिजली वितरण करने वाली कंपनियां (डिस्कॉम) भी दरें बढ़ाने की मांग करेंगी।
दिल्ली स्थित बिजली संयंत्र भी कोयला व गैस पर आधारित है। इसी तरह से दिल्ली में लगभग 70 फीसद बिजली कोयला आधारित संयंत्रों से खरीदी जाती है। इसलिए आने वाले दिनों में दिल्ली को मिलने वाली बिजली महंगी हो सकती है। दूसरी ओर डिस्कॉम पहले से ही वर्तमान दरों पर बिजली आपूर्ति करने में भारी नुकसान की बात कर रही हैं। इनका कहना है कि पिछले दस वर्षो में बिजली खरीद मूल्य में लगभग 300 फीसद की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान दिल्ली में बिजली की दरें मात्र 65 फीसद बढ़ी हैं।
अगले वित्त वर्ष में बिजली की दरें बढ़ाने के लिए डिस्कॉम ने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) को जो मसौदा दिया है, उसमें बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) ने 14.12 फीसद तथा बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) ने 18.83 फीसद का घाटा दिखाया है। वहीं टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) ने 13.33 फीसद का घाटा दिखाया है। इस आधार पर बीआरपीएल ने वर्तमान टैरिफ में 16.29 फीसद, बीवाईपीएल ने 19.35 फीसद और टीपीडीडीएल ने 10 फीसद की बढ़ोतरी होनी चाहिए।
कंपनियां अगले वित्त वर्ष में बिजली की दरें बढ़ाने के साथ ही फिलहाल घाटे की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं से बिजली खरीद समायोजन लागत (पीपीएसी) वसूलने की मांग कर रही है। उल्लेखनीय है कि डीईआरसी ने पिछले वर्ष जुलाई में नई दरें लागू करते समय पीपीएसी समाप्त कर दिया था। इसके बाद पिछले वर्ष नवंबर में बीवाईपीएल को सात फीसद, बीआरपीएल को 4.5 फीसद तथा टीपीडीडीएल को 2.5 फीसद पीपीएसी वसूलने की इजाजत दी गई थी, लेकिन राजनीतिक दलों के विरोध के कारण आयोग को यह फैसला वापस लेना पड़ा था। अब एक बार फिर से कंपनियां इसे लागू करने की मांग कर रही है और अब यह और जोर पकड़ेगा। यदि पीपीएसी लागू होता है कि दिल्लीवासियों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए सरकार को ज्यादा सब्सिडी देनी होगी।