ऐतिहासिक जामा मस्जिद के बहुरेंगे दिन
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा 1656 ई. में निर्मित जामा मस्जिद के दिन अब बहुरन
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा 1656 ई. में निर्मित जामा मस्जिद के दिन अब बहुरने वाले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इसके संरक्षण की योजना बनाई है। एएसआइ का कहना है कि इसके संरक्षण में 1.75 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेज दी गई है। केंद्र से अनुमति मिलने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि शीघ्र ही संरक्षण के लिए राशि जारी हो सकती है। आपको बता दें कि पिछले सौ साल में पहली बार बड़े स्तर पर जामा मस्जिद का केमिकल ट्रीटमेंट कराया गया है। यह कार्य लगभग एक माह पहले पूरा किया गया। इसके बाद अब एएसआइ ने मस्जिद में बड़े स्तर पर संरक्षण कराने की योजना बनाई है। एएसआइ के अधिकारियों का कहना है कि कई जगहों पर मस्जिद के हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए हैं जो कभी भी गिर सकते हैं। संरक्षण योजना के तहत वर्षो पुराने टूट रहे गुंबदों के मार्बल बदले जाएंगे। छत को ठीक कराया जाएगा। कई जगह पत्थर खराब हो गए हैं। उन्हें बदला जाएगा।
जामा मस्जिद एएसआइ का संरक्षित स्मारक नहीं है। मगर, पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में 1956 में किए गए विशेष प्रावधान के तहत केंद्र सरकार इसकी मरम्मत के लिए समय-समय धन आवंटित करती है। मगर धन के अभाव में पिछले सात साल से जामा मस्जिद में संरक्षण का काम बंद है। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि मस्जिद में बड़े स्तर पर संरक्षण की जरूरत है। जिसके लिए केंद्र सरकार से फंड मिलना है। इस बारे में उन्होंने भी सरकार को पत्र लिखा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।