अनुचित टकराव
दिल्ली की सड़कों पर कैब चलाने को लेकर अमेरिक कैब कंपनी उबर और यातयात पुलिस के बीच पैदा हुई टकराव की स
दिल्ली की सड़कों पर कैब चलाने को लेकर अमेरिक कैब कंपनी उबर और यातयात पुलिस के बीच पैदा हुई टकराव की स्थिति बिल्कुल अनुचित है। इस मामले में कैब कंपनी की हठधर्मिता की निश्चित तौर पर आलोचना की जानी चाहिए। सवाल यह है कि नियम व कानून से कोई भी परे नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोबाइल ऐप आधारित इस कंपनी द्वारा कैब का परिचालन नियमों के खिलाफ किया जा रहा था। आखिर किसी कंपनी को बगैर लाइसेंस के शहर की सड़कों पर अपनी गाड़ियां उतारने की इजाजत भले कैसे दी जा सकती है। यह ठीक है कि उबर के संचालकों ने लाइसेंस के लिए दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग में आवेदन किया है और सरकार ने ऐसे संकेत भी दिए हैं कि नियमों के तहत वह लाइसेंस जारी कर देगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब तक लाइसेंस जारी नहीं हो जाता तब तक आखिर किस आधार पर यह अमेरिकी कंपनी दिल्ली में अपनी सेवाएं शुरू कर सकती है। जब उसके संचालकों को यह पता था कि बगैर लाइसेंस के गाड़ियों का परिचालन नहीं किया जा सकता तो आखिर इस जिद का क्या तुक है कि कंपनी की गाड़ियां एक खास दिन से ही चलने लगेंगी। कंपनी की ओर से बाकायदा अपने ग्राहकों को यह सूचना भी भेज दी गई कि उसकी गाड़ियां एक खास तिथि से दिल्ली में दौड़ने लगेंगी।
दिल्ली यातायात पुलिस ने उबर कंपनी से संबंधित वाहनों का चालान कर उचित कार्रवाई की है। कानून और व्यवस्था को बनाए रखना पुलिस की जिम्मेदारी है। इस मामले में अधिकारियों का यह कहना दुरुस्त है कि जब तक उबर कंपनी को दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग से लाइसेंस नहीं मिल जाता तब, तक उससे संबंधित गाड़ियों को शहर की सड़कों पर चलने की इजाजत नहीं होगी। इस मामले में यह नहीं भूलना होगा कि जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि मोबाइल ऐप के नेटवर्क के आधार पर कैब चलवा रही कंपनियां न तो ड्राइवरों की जिम्मेदारी लेने को तैयार थीं और न ही गाड़ी को लेकर उन्हें कुछ खास जानकारी थी। इतना ही नहीं दिल्ली में ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट की गाड़ियों को चलाया जा रहा था, जो नियमों के सरासर खिलाफ था। लिहाजा, अब उबर कंपनी को चाहिए कि वह टकराव का रास्ता छोड़कर लाइसेंस मिलने का इंतजार करे और सभी जरूरी कागजात हासिल करने के बाद ही अपनी गाड़ियों को सड़कों पर उतारे।