बच्चों को शिक्षित करना सराहनीय कदम : संजीव
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : बच्चों को शिक्षित करना समाजोपयोगी कार्य है। देश के भविष्य को शिक्
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :
बच्चों को शिक्षित करना समाजोपयोगी कार्य है। देश के भविष्य को शिक्षा की राह दिखाकर हम अपने आने वाले कल को रोशन करते हैं। बेसहारा बच्चों को शिक्षित करना सराहनीय कदम हैं। इस प्रयास में जुटे प्रत्येक व्यक्ति और समाजिक संगठनों की सराहना की जानी चाहिए। ऐसे लोगों की हर संभव मदद भी की जानी चाहिए, जो बच्चे कभी स्कूल का नाम तक नहीं जानते उनको शिक्षित कर अनुशासन का पाठ सिखाने से बड़ा और कोई धर्म नहीं होता। यदि सभी लोग इस तरह के सामाजिक कार्यों में अपनी भागीदारी निभाएं तो वह दिन दूर नही होगा जब राजधानी में कोई अशिक्षित नहीं रहेगा। यह बातें उत्तर-पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त आरए संजीव ने एक सामाजिक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद बातचीत के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि जिस के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए पैसा नही हैं, ऐसे बच्चों को खोज कर शिक्षित करने का मतलब देश के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन करना है। पुलिस उपायुक्त ने शिक्षा की अहमियत का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षित व्यक्ति अनुशासित भी होता है। प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति के बारे में यह भी धारणा होती है कि वह अपना और समाज का हित बखूबी समझ सकता है। बेसहारा बच्चों के विषय में बोलते हुए संजीव ने कहा कि महानगरों में कई ऐसे बच्चे हैं, जो शिक्षा की जद से अभी तक दूर ही हैं। एकजुट प्रयास से ऐसे बच्चों को शिक्षित कर दरअसल हम अपने मुल्क का भविष्य सहेजते हैं। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गो के लोगों और सामाजिक संस्थाओं के एकजुट प्रयास से शिक्षित भारत का सपना पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोग बेसहारा बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में योगदान देने की दिशा में गंभीरता से न केवल विचार करें, बल्कि जहां तक हो सके इन बच्चों की मदद भी करने के लिए आगे कदम बढ़ाएं।