सुरक्षा से खिलवाड़
अरविंद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली पाकिस्तान के पेशावर के आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले के बा
अरविंद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली
पाकिस्तान के पेशावर के आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले के बाद भी दिल्ली में प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार के आइ ब्लॉक के दक्षिणी दिल्ली नगर निगम प्राथमिक बालक-बालिका विद्यालय के विद्यार्थियों के अभिभावक बच्चों की सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं। स्कूल में कोई जानवर या असामाजिक तत्व बिना किसी रोक-टोक के आ-जा सकते हैं।
दरअसल, इलाके के पूर्व पार्षद विशन स्वरूप अग्रवाल के कार्यकाल में पांच वर्ष पहले इस स्कूल के बगल में निगम के वर्क डिपार्टमेंट ने अपना स्टोर बनवाया था। इसमें चार कमरे, बरामदा, शौचालय व कैंपस भी है। चारों कमरों व शौचालय की खिड़कियां स्कूल परिसर में खुलती हैं। स्टोर का मुख्य द्वार पूरी तरह से टूट चुका है और यह हमेशा खुला रहता है। कमरों व शौचालय के दरवाजे चोर निकाल ले गए। खिड़कियों के दरवाजे गायब हैं और ग्रिल भी टूट चुकी है। इस रास्ते से असामाजिक तत्व व कुत्ते आदि भी स्कूल में आ जाते हैं। यहां बैठकर कोई जुआ खेलता है तो कोई शराब पीता है। इनसे बचने के लिए स्कूल प्रशासन ने बल्लियों के सहारे टिन की चादर लगाई थी। इस बरसात में बल्लियां सड़कर टूट गई और यह 'परदा' भी खत्म हो गया। स्कूल प्रशासन की ओर से स्थानीय पार्षद व निगम के उपायुक्त को इस बारे में पत्र भी लिखा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्कूल की ओर से 19 दिसंबर को भी पत्र लिखा गया है। स्कूल प्रशासन चाहता है कि स्टोर भवन का मुख्य द्वार, इसके कमरों के दरवाजे और खिड़कियां सही करवा दिए जाएं, ताकि बच्चे सुरक्षित रहें। स्कूल प्रशासन का कहना है कि हाई अलर्ट के बाद स्थानीय पुलिसकर्मी सिर्फ स्कूल में हाजिरी लगाने आते हैं और उसके बाद तुरंत चले जाते हैं। कभी नहीं हुआ स्टोर का इस्तेमाल
लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए स्टोर का शुरू से ही इस्तेमाल नहीं हुआ। इसमें न तो कभी कोई सामान रखा गया और न ही कोई अधिकारी बैठा। बच्चों के अभिभावकों ने इसे सरकारी धन की बर्बादी बताते हुए कहा कि यदि यह भवन स्कूल को ही दे दिया जाए तो बच्चों को पोर्टा केबिन में न बैठना पड़े। स्कूल के मुख्य द्वार पर दिन में किसी गार्ड की व्यवस्था न होने से इसमें गाय, कुत्ते व अन्य जानवर भी घुस आते हैं। यह स्कूल रिज एरिया में है। इस कारण परिसर में बड़े-बड़े पत्थर उभरे हैं। स्कूल में दो तरफ की बाउंड्री भी काफी नीची होने से सुरक्षा संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
स्कूल पर एक नजर
- वर्ष 1990 में शुरू किया गया
- 2005 में पोर्टा केबिन के 30 कमरे बनाए गए
- सुबह 8 से 12.30 बजे की पाली में 1400 छात्राएं
- शाम 1 से 5.30 बजे की पाली में 1218 छात्र
- दोनों पाली में 21-21 शिक्षक-शिक्षिकाएं
- दिन का गार्ड नहीं
- सीसीटीवी कैमरे नहीं
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यह वाकई बच्चों के लिए खतरनाक है। हमने स्टोर भवन के गेट, दरवाजे व खिड़कियों की मरम्मत के लिए उपायुक्त को पत्र लिखा है। बच्चों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी व दिन के गार्ड आदि की भी मांग की गई है।
- मंजू खत्री, उपनिदेशक शिक्षा, एसडीएमसी, मध्य क्षेत्र।
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इस इलाके में नगर निगम की डिस्पेंसरी नहीं है। हमने उपायुक्त से यह मांग भी रखी है कि इस भवन में डिस्पेंसरी खोली जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर बच्चों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध करवाया जा सके। या फिर भवन स्कूली बच्चों के लिए खोल दिया जाए।
- कल्पना झा, पार्षद।