मौलाना आजाद की फोटो से छेड़छाड़ के सुबूत नहीं
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जर्नी ऑफ लेजेंड-मौलाना अबुल कलाम आजाद नामक किताब में प्रकाशित हुई मौल
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
जर्नी ऑफ लेजेंड-मौलाना अबुल कलाम आजाद नामक किताब में प्रकाशित हुई मौलाना आजाद की फोटो के साथ छेड़छाड़ के पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। ऐसे में फोटो के साथ छेड़छाड़ की बात सिद्ध नहीं की जा सकती है। बृहस्पतिवार को सीबीआइ ने मामले में स्टेटस रिपोर्ट दायर कर यह जानकारी दिल्ली हाई कोर्ट को दी। मामले की सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।
न्यायमूर्ति विभू बाखरू के समक्ष सरकारी वकील आरवी सिन्हा द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट में सीबीआइ ने बताया कि उसने मामले में शिकायत मिलने के बाद संबंधित दस्तावेज जब्त किए थे और कुछ लोगों से पूछताछ भी की थी। लेकिन मामले की जांच में एजेंसी को पर्याप्त सुबूत नहीं मिले। रिपोर्ट में बताया गया कि इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन (आइसीसीआर) नामक जिस संस्था ने किताब प्रकाशित करवाई थी, उसके तत्कालीन निदेशक राकेश कुमार के खिलाफ फोटो से छेड़छाड़ समेत अन्य आरोप लगाए गए थे। आरोपों के बाद उन पर तीन केस भी दर्ज किए गए। लेकिन जांच में उनके द्वारा फोटो से छेड़छाड़ किए जाने की बात सिद्ध नहीं हुई थी। पेश मामले में आइसीसीआर ने वर्ष 2005 में जर्नी ऑफ लेजेंड-मौलाना अबुल कलाम आजाद पर एक किताब छपवाई थी। किताब में आइसीसीआर की तत्कालीन अध्यक्ष नजमा हेपतुल्ला व मौलाना आजाद की दो अलग-अलग फोटो को काटकर एक साथ मिलाकर किताब में उसका प्रकाशन किया गया था। मामले में मौलाना आजाद के पौत्र फिरोज बख्त अहमद ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें आरोप है कि नजमा हेपतुल्ला के कहने पर फोटो से छेड़छाड़ की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप था कि सीबीआइ हमेशा हाई प्रोफाइल मामलों में आरोपियों को बचाती आई है। इस मामले में भी वह यही काम कर रही है।