जेएनयू में पाली में सर्टिफिकेट कोर्स अगले सत्र से
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का संस्कृत विभाग अगले सत्र से पाली भ
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का संस्कृत विभाग अगले सत्र से पाली भाषा में एकवर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करेगा। इस संबंध में एकेडमिक काउंसिल में प्रस्ताव पास हो गया है।
जेएनयू में संस्कृत के विभागाध्यक्ष प्रो. उपेंद्र सी राव ने बताया कि विभाग जितना संस्कृत को लेकर गंभीर है उतना पाली भाषा को लेकर भी। संस्कृत, पाली और प्राकृत भाषा एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। पाली भाषा को लेकर कई विश्वविद्यालय उदासीन हैं, जबकि बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग काफी संख्या में हैं। वे पाली को लेकर शोध भी कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हमारे यहां ऐसे कई ग्रंथ हैं, जो पाली या संस्कृत में मूल रूप में नहीं हैं। लोग मूल पाली समझने के लिए चीनी या तिब्बती भाषा सीखते हैं, जबकि पाली भारत से ही चीन गई है। चीन की प्रसिद्ध युद्धकला कुंग फू भारत से ही चीन में गई है। बौद्ध धर्म का विदेशों में प्रचार-प्रसार करने वाले बोधि धर्मा ने ही चीन में बौद्ध धर्म के प्रचार के दौरान लोगों को विशेष युद्ध कला सिखाई। चीन में बोधि धर्मा की विशालकाय मूर्ति भी स्थापित की गई है।
जिन देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ, वहां पाली भाषा विधिवत पढ़ाई जाती है। ऐसे भी कई देश हैं, जहां संस्कृत अध्ययन केंद्र नहीं हैं लेकिन पाली अध्ययन केंद्र हैं। विश्व स्तर पर पाली की बढ़ती मांग को देखते हुए जेएनयू पाली भाषा में एकवर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसके अलावा हम योग, भारतीय संस्कृति, संगणीय संस्कृत तथा मास्टर इन संस्कृत लैंग्वेज में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की योजना बना रहे हैं। कोर्स का प्रारूप जल्द ही तैयार कर लिया जाएगा। इसमें परीक्षा के माध्यम से दाखिला लिया जाएगा।