थाने से गायब हुई महिला का दो साल से नहीं मिला सुराग
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एक महिला को पुलिस घर से उठा ले जाती है। वह थाने से भी गायब हो गई। हमने आपक
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एक महिला को पुलिस घर से उठा ले जाती है। वह थाने से भी गायब हो गई। हमने आपको (सीबीआइ) केस सौंप दिया। आप कर क्या रहे हो? क्यों आपने आरोपी पुलिसकर्मियों का नाम अपनी एफआइआर में नहीं लिखा? क्या इस जांच को उचित माना जा सकता है? ये बातें दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट व न्यायमूर्ति विपिन सांघी की खंडपीठ ने दो वर्ष से पुल प्रहलाद पुर थाने से लापता महिला के मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआइ को फटकार लगाते हुए कही हैं। खंडपीठ ने सीबीआइ को निर्देश दिया है कि वह मामले में तीन सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दायर करे।
खंडपीठ ने सीबीआइ पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य इस बात का है कि शिकायतकर्ता बार-बार आरोपी पुलिसकर्मियों के नाम उन्हें व जांच एजेंसी को बता रही है। इसके बावजूद सीबीआइ ने अपनी एफआइआर में आरोपी पुलिसकर्मियों के नाम नहीं लिखे। जांच अधिकारी का यह रवैया हैरान करने वाला है कि उन्होंने आरोपियों में अज्ञात पुलिसकर्मियों का नाम लिखा है। इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस को इसलिए नहीं सौंपी गई, क्योंकि मामले में दिल्ली पुलिस के अधिकारी आरोपी थे। ऐसे में जांच के प्रभावित होने का भय था। इसीलिए मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई थी। अदालत ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि एक महिला थाने से गायब हुई और घटना के दो साल बीत जाने के बाद भी उसका सुराग नहीं लग पा रहा है। ऐसे में सीधे तौर पर तत्कालीन थानाध्यक्ष व महिला को गिरफ्तार कर लाने वाले पुलिसकर्मियों की टीम पर नामजद मुकदमा होना चाहिए।
अदालत ने कहा कि अगर सीबीआइ ने आरोपियों के नाम मुकदमा ही दर्ज नहीं किया है तो इस तरह की जांच का क्या फायदा होगा? अदालत को जवाब चाहिए कि उन्होंने गायब महिला को ढूंढने के लिए अभी तक क्या ठोस कदम उठाए हैं।
उल्लेखनीय है कि 23 मई 2012 को पुल प्रहलाद पुर थाने की पुलिस ने टेलरिंग दुकान के मैनेजर की शिकायत पर वहां काम करने वाली महिला को उसके घर से गिरफ्तार किया था। रात तक महिला को थाने के बाहर बैठाकर रखा गया। इसके बाद महिला थाने से ही गायब कर दी गई। महिला के परिजनों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और मामले की जांच सीबीआइ से कराए जाने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने मामले में अगस्त में सीबीआइ जांच के आदेश जारी किए थे।