सराहनीय कदम
राजधानी में सैकड़ों की संख्या में चल रही प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए पंजीकरण की अनिवार्यता तय कर दिल्ल
राजधानी में सैकड़ों की संख्या में चल रही प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए पंजीकरण की अनिवार्यता तय कर दिल्ली सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाया है। पंजीकरण नहीं कराने वाली एजेंसियों को 25 अक्टूबर के बाद अपना बोरिया-बिस्तर बांध लेना पड़ेगा। सरकार ने इस संबंध में जारी अधिसूचना में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब नाबालिग से काम कराने के मामले में इन एजेंसियों के अलावा काम लेने वाले मालिक भी जिम्मेदार होंगे। पिछले कुछ वर्षो में राजधानी में हुई घटनाओं के आईने में यह साफ झलकता है कि इन प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी व शोषण का आपत्तिजनक धंधा चलाया जाता रहा है। इनके माध्यम से महिलाओं व बच्चों की तस्करी की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। देश के दूर-दराज के इलाकों से गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाली लड़कियों व बच्चों को नौकरी दिलाने के नाम पर दिल्ली लाया जाता है और उन्हें शोषण की चक्की में झोंक दिया जाता है। मानवता को कलंकित करने वाले लोग महिलाओं व बच्चों के माध्यम से पैसे तो खूब बना रहे हैं, लेकिन इन्हें इनके कल्याण की रत्ती भर भी परवाह नहीं होती। यही वजह है कि ऐसी महिलाओं व बच्चों को दिल्ली में आकर तरह-तरह के जुल्म का शिकार होना पड़ता है।
दिल्ली सरकार ने अदालत में पेश अपने हलफनामे के माध्यम से प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए पंजीकरण आवश्यक किए जाने की अधिसूचना की जानकारी दी है। सरकार की ओर से इन एजेंसियों के लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि अब वे घरेलू सहायकों की सूचना श्रम विभाग को भेजेंगे और इन सहायकों का एक पासबुक भी रखेंगे। इसमें इन सहायकों की पूरी जानकारी होगी। उनके नाम, उम्र, पता और वे जिन मालिकों के यहां काम करेंगे, उनकी जानकारी भी पासबुक में दर्ज करनी होगी। नियमों का पालन नहीं करने वाली एजेंसियों पर 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि शहर में काम कर रही सभी प्लेसमेंट एजेंसियां गड़बड़ी ही करती हों, ऐसा नहीं है। इनमें से कुछ ऐसी भी हैं जिनके माध्यम से जरूरतमंदों को काम मिल रहा है और इनकी सेवाएं लेने वालों को भी फायदा है। लेकिन इतना जरूर है कि बहुतों ने प्लेसमेंट के नाम पर तस्करी ओर शोषण का धंधा शुरू कर दिया है जिन पर लगाम लगाना वाकई बेहद जरूरी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि दिल्ली सरकार के ताजा कदम से शोषण का सिलसिला थमेगा।