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सड़कों से गायब हो रही हैं डीटीसी की बसें

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली राज्य परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में नई बसें तो नहीं जुड़ रही है,

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 07:36 PM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 07:36 PM (IST)
सड़कों से गायब हो रही 
हैं डीटीसी की बसें

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली राज्य परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में नई बसें तो नहीं जुड़ रही है, लेकिन पुरानी बसें सड़कों से जरूर गायब होने लगी हैं। पिछले ढाई साल में ही लगभग नौ सौ बसों को हटा लिया गया है, वहीं 12 सौ से ज्यादा बसों की स्थिति भी चलने लायक नहीं है। किसी तरह से उन्हें सड़क पर उतारा जाता है। यदि इन्हें भी सड़क से हटा लिया जाए तो स्थिति और भी खराब हो जाएगी।

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राजधानी में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली दुरुस्त करने को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इसका खुलासा डीटीसी के ऑपरेशन स्टटिस्टिक्स रिपोर्ट से हो जाती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल, 2012 से इस वर्ष 30 जून के बीच 892 बसों का परिचालन बंद करना पड़ा है। जबकि इस दौरान एक भी नई बस नहीं खरीदी गई है। सबसे ज्यादा 446 बसें वर्ष 2012-13 में सड़कों से हटाई गई हैं। वहीं, इस वर्ष मई में 176 तथा जून में 48 बसों की सेवा बंद कर दी गई है।

डीटीसी अधिकारियों के अनुसार, स्टैंडर्ड फ्लोर की अधिकांश बसें जर्जर हो गई हैं, जिससे इनका परिचालन व्यय बढ़ने के साथ ही बीच सड़क पर खराब होने की भी समस्या आ रही है। इसलिए इन्हें चरणबद्ध तरीके से सड़कों से हटाया जा रहा है। अभी भी 1,216 स्टैंडर्ड फ्लोर बसें डीटीसी के बेड़े में हैं, जो कि अपनी परिचालन आयु पूरी कर चुकी हैं। इसके बावजूद बसों की कमी के कारण इन्हें चलाया जा रहा है। इनमें से अधिकांश बसें इतनी जर्जर हो गई हैं कि अक्सर बीच सड़क पर बंद हो जाती है।

समय पर नहीं मिल रही बसें

बसों की कमी का खामियाजा दिल्लीवासियों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें कहीं आने जाने के लिए समय पर बसें नहीं मिलती है। बस स्टॉप पर काफी इंतजार करने के बाद लोगों को बसें मिलती भी हैं तो वह ठसाठस भरी हुई होती हैं। वहीं डर बना रहता है कि कहीं गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही यह खराब नहीं हो जाए।

1380 बसें खरीदने की चल रही प्रक्रिया

इस स्थिति को दूर करने के लिए डीटीसी के बेड़े में नई बसें शामिल किए जाने की जरूरत है। हालांकि, 1380 बसें खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। डीटीसी ने इसके लिए टेंडर जारी किया था और एक कंपनी ने इसके लिए दिलचस्पी भी दिखाई है। हालांकि, बसों के रखरखाव की राशि को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। अधिकारियों का कहना है कि इस विवाद का निपटारा होते ही नई बसें उपलब्ध करा दिल्लीवासियों की परेशानी दूर हो जाएगी।


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