शी चिनफिंग अधिक सैद्धांतिक
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अपने पूर्ववर्तियों से अधिक सैद्धांतिक और यथार्थवादी हैं। दलाई लामा ने शनिवार को राजधानी में भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं पर आयोजित एक सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने भारत और चीन के बीच आपसी संघर्ष की स्थिति को नकार कर आपसी विश्वास के आधार पर शांति स्थापित करने पर जोर दिया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि उपराज्यपाल नजीब जंग थे।
दलाईलामा ने कहा कि राष्ट्रपति ने चीनी संस्कृति में बौद्ध धर्म के महत्व को रेखाकित किया है। पहली बार कम्युनिस्ट नेताओं ने आध्यात्मवाद के महत्व का उल्लेख किया है। यह एक नई बात है। यह दर्शाता है कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं में वास्तविकता के अनुसार कार्रवाई करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि शी चिनफिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद बहुत बदलाव आया है। वह अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में निर्णय लेने और समस्याओं के समाधान के लिए बेहतर प्रयास कर रहे हैं। वह काफी समय से तिब्बत में आने की इच्छा जता रहे हैं लेकिन चीन से उन्हें इसके लिए अनुमति नहीं मिली।
इस मौके पर एक बार फिर दलाई लामा ने तिब्बत और उसकी स्वायत्ताता की मांग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश हैं जहां कई धर्म और परंपराएं सह अस्तित्व में हैं। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में कई धर्मो के प्रमुख लोग हिस्सा लेंगे और अपने विचार रखेंगे। इनमें श्रीश्री रविशंकर, मोरारी बापू, मौलाना कल्बे सादिक, आचार्य महाश्रमण, जेना सोराबजी, दादी ई. मिस्त्री प्रमुख हैं। आयोजकों का कहना है कि इस सम्मेलन में अंतर्धार्मिक समझ एवं सद्भाव का पोषण, महिलाओं की भूमिका और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने सहित कई विषयों विचार विमर्श होगा।