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बदतर ट्रैक, मजबूरी में चलाते हैं साइकिल

By Edited By: Published: Thu, 28 Aug 2014 11:21 PM (IST)Updated: Thu, 28 Aug 2014 11:21 PM (IST)
बदतर ट्रैक, मजबूरी में चलाते हैं साइकिल

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : पर्यावरण के प्रति सजग होने के बावजूद सुरक्षा और साइकिल ट्रैक की बदतर स्थिति के कारण दिल्ली के लोग साइकिल चलाने से परहेज कर रहे हैं। ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) द्वारा साइकिल चालकों को लेकर किए गए सर्वे के मुताबिक दिल्ली में परिवहन के रूप में साइकिल का इस्तेमाल करने वालों में 73 फीसद लोग मजबूरी में इससे चलते हैं। इनमें से अधिकतर पांच से 15 किमी साइकिल चलाकर काम के स्थान पर पहुंचते हैं। टेरी का सर्वे दिल्ली के 200 साइकिल चालकों पर किया गया है। इसके लिए जहांगीर पुरी, नरेला, नेहरू प्लेस व ओखला जैसे औद्योगिक क्षेत्रों को चुना गया। सर्वे में पाया गया कि दिल्ली की सड़कों पर इस्तेमाल हो रही 55 फीसद साइकिलें सेकेंड हैंड हैं। साइकिल ट्रैकों के निर्माण में खामियां मिलीं हैं। कई साइकिल ट्रैक बस स्टॉप, कट, रोड क्रॉसिंग और प्लाजा के कारण गायब मिले।

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क्या कहता है सर्वे

-साइकिल चालकों में 19 फीसद की मासिक आय तीन हजार से छह हजार रुपये

-55 फीसद की आय छह हजार से 10 हजार रुपये के बीच है

-दस से 15 हजार के बीच कमाई करने वाले साइकिल यात्रियों की तादाद 20 फीसद।

-महज तीन फीसद साइकिल यात्रियों की मासिक कमाई 15 हजार से 20 हजार रुपये के बीच है।

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यदि बाइक या कार खरीदने की क्षमता है तो दिल्ली वाले उसे प्राथमिकता दे रहे हैं। अधिकतर साइकिल चालक ऐसे मिले जो मजबूरी में साइकिल का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि वे बस का किराया भी वहन नहीं कर सकते।

-अक्षिमा तेजस घाटे, टेरी की फेलो व एरिया संयोजक

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पर्यावरण के प्रति सजग होने के बावजूद दिल्ली के लोग सड़कों पर साइकिल इसलिए नहीं निकाल पा रहे हैं क्योंकि साइकिल ट्रैक अतिक्रमण है। कई जगह साइकिल ट्रैक ही गायब। साइकिल खड़ी करने की भी समस्या है। दिल्ली में साइकिल पार्किग नहीं है।

-आरके पचौरी, टेरी के महानिदेशक


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