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चिकन कहीं खराब न कर दे सेहत

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 10:33 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 10:33 PM (IST)
चिकन कहीं खराब न कर दे सेहत

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :

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चिकन के शौकीन लोगों को सावधान हो जाने की जरूरत है, क्योंकि यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरमेंट (सीएसई) का अध्ययन इसी ओर इशारा करता है। दिल्ली-एनसीआर में बिकने वाले चिकन में एंटीबॉयोटिक की अधिकता मिली है। इसे खाने से एंटीबॉयोटिक मानव के शरीर में पहुंच रही है। इससे बीमारी के दौरान दी जाने वाली एंटीबॉयोटिक असर नहीं करती है। सीएसई के पॉल्यूशन मॉनिटरिंग लैबोरेटरी (पीएमएल) ने यह अध्ययन किया है, जिसका परिणाम बुधवार को जारी किया गया है। इससे खुलासा हुआ है कि वजन बढ़ाने तथा संक्रमण को रोकने के लिए मुर्गे को 35 से 42 दिन के अंदर कई बार एंटीबॉयोटिक की मात्रा दी जाती है।

40 फीसद नमूनों में मिली एंटीबॉयोटिक

अध्ययन के लिए गए नमूनों में मांस, किडनी व लिवर में एंटीबॉयोटिक, ऑक्सिटेट्रासाइक्लिन, क्लोरटेरासाइक्लिन, डॉक्सिलिन, इनरोफ्लोक्सासिन, सिपरोफ्लोक्सासिन तथा नियोमाइसिन की जांच की गई। 40 फीसद नमूनों में एंटीबॉयोटिक की मात्रा 3.35 से 131.175 माइक्रोग्राम प्रति किलो मिली। इसमें से 22.9 फीसद नूमनों में सिर्फ एक तथा 17.1 में एक से ज्यादा एंटीबॉयोटिक की मात्रा मिली।

मानव शरीर के लिए नुकसानदेह

सीएसई के विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीबॉयोटिक देने से चिकन में एंटीबॉयोटिक प्रतिरोधी जीवाणु विकसित होने लगता है, जोकि मानव के शरीर में भी पहुंच जाता है। इससे बीमारी के दौरान इसका असर नहीं होता है। वर्ष 2002 से 2013 के बीच अध्ययन में भी यह बात सामने आई है कि कई एंटीबॉयोटिक दवाइयों का असर मानव शरीर पर नहीं हो रहा है। निमोनिया, टीबी जैसी बीमारियों में इनकी मात्रा बढ़ानी पड़ रही है।

क्या है समाधान

-मुर्गे या जानवर का वजन बढ़ाने के लिए एंटीबॉयोटिक के प्रयोग पर रोक लगे। इसकी निगरानी के लिए तंत्र विकसित किया जाए।

- लाइसेंस के बिना एंटीबॉयोटिक की बिक्री पर रोक लगे।

-कई देशों में एंटीबॉयोटिक के प्रयोग को लेकर सख्त नियम हैं, भारत में भी इसे लागू करने की जरूरत है।

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'जनसेहत विशेषज्ञों को काफी पहले अंदेशा था कि जानवरों में एंटीबॉयोटिक के प्रयोग के कारण मानव में इसका असर कम हो रहा है। सीएसई के अध्ययन से भी यह बात साबित हो गई है।' - चंद्र भूषण (सीएसई के उपनिदेशक)

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'मुर्गे का वजन तेजी से बढ़े, इसके लिए पोल्ट्री फॉर्म चलाने वाले उसके भोजन में एंटीबॉयोटिक मिला देते हैं। इस तरह से पोल्ट्री उद्योग चलाने वाले लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।' - सुनीता नारायण (सीएसई की निदेशक)

दिल्ली-एनसीआर से लिए गए चिकन के नमूने

दिल्ली-36

नोएडा- 12

गुड़गांव- 8

फरीदाबाद-7

गाजियाबाद-7

कुल-70


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