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सिमी पर प्रतिबंध पर हाईकोर्ट पैनल ने लगाई मुहर

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 09:30 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 09:30 PM (IST)
सिमी पर प्रतिबंध पर हाईकोर्ट 
पैनल ने लगाई मुहर

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट के पैनल द्वारा संचालित अनलॉफुल एक्टिविटी ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार के उस निर्णय को स्वीकृति दे दी है, जिसके तहत स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) पर लगाए गए प्रतिबंध को पांच साल तक बढ़ाए जाने के निर्देश जारी किए गए थे। ट्रिब्यूनल के न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने अपने निर्णय में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सिमी से संबंधित मामलों के लिए एक विशेष ट्रिब्यूनल का गठन करे। मगर इस बात का ध्यान रखा जाए कि उनकी कार्रवाई का शिकार कोई निर्दोष न होने पाए।

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न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में लोकसभा में दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि सांसदों के खिलाफ अदालती ट्रायल एक साल में खत्म होना चाहिए। अगर वे दोषी हैं तो उन्हें सजा दी जाए। संसद में साफ स्वच्छ छवि के लोग ही बैठने चाहिए। उसी तरह केंद्र सरकार द्वारा सिमी से जुड़े लोगों के लिए बनाए जा रहे ट्रिब्यूनल को भी त्वरित न्याय के लिए काम करना होगा।

ट्रिब्यूनल ने इस मामले में उन सारी सरकारी जांच एजेंसियों की भी खिंचाई की है, जिन्होंने सिमी से जुड़े लोगों को नोटिस भेजकर उनके समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा। जबकि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था। वे लोग उनके समक्ष आए और डरे हुए थे। उन्हें सिमी को लेकर खास जानकारी तक नहीं थी। इस तरह से निर्दोष लोगों को भविष्य में परेशान न किया जाए। सरकार द्वारा सिमी को लेकर गठित किए जाने वाले ट्रिब्यूनल में केवल उन्हीं लोगों को बुलाया जाए, जो इस संगठन को चलाने का काम करते थे और गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहे थे।

ज्ञात हो कि सिमी पर हाल ही में 2012 में मुंबई में आजाद मैदान की हिंसा के संबंध में 21 मुकदमें दर्ज हुए हैं। वर्ष 2008 के अहमदाबाद के सीरियल ब्लास्ट में भी सिमी के आतंकी शामिल थे। इसके अतिरिक्त सिमी से जुड़े आतंकियों पर गुजरात और हैदराबाद में भी मुकदमें दर्ज हैं। विभिन्न गतिविधियों में सिमी के शामिल होने के कारण ही केंद्र सरकार ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया था। यह प्रतिबंध 6 फरवरी को पांच साल तक के लिए बढ़ा दिया गया था।


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