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कविता की निश्चित परिभाषा नहीं : प्रो. गोबिंद प्रसाद

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 09:55 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 09:55 PM (IST)
कविता की निश्चित परिभाषा नहीं : प्रो. गोबिंद प्रसाद

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर में हिन्दी विभाग के सौजन्य से साहित्य वार्ता के अंतर्गत कविता पाठ का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य अतिथि आए जेएनयू में हिन्दी विभाग के प्रो. गोबिंद प्रसाद ने कहा कि कविता की कोई परिभाषा निश्चित करना मुश्किल है। हर समय में नई प्रकार की कविताएं जन्म लेती हैं। कविता का भविष्य आज भी उज्जवल है और आगे भी उज्जवल रहेगा। इस पर पत्थर पर पत्थर, हम तो चले जाएंगे दो चार दिनों में अपने गांव और नेपथ्य शीर्षक से कविता भी पढ़ी। इन्होंने त्रिलोचन की कविता का गान भी किया और समसामयिक कविताओं पर चर्चा की।

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दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. गोपेश्वर सिंह ने कहा कि ऐसे आयोजन हमें आपस में मिलाने के लिए जरूरी हैं। समय-समय पर हम विश्वविद्यालय में नव कवियों से मिलते रहते हैं और उनके विचारों को जान पाते हैं। आज किस प्रकार का साहित्य लिखा जा रहा है, यह उसे जानने का भी मौका है।

कार्यक्रम में हिन्दी विभाग के ही शिक्षक प्रो. प्रेम सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और उनका परिचय दिया। कार्यक्रम में कई कवियों ने अपनी कविता पढ़ी। कार्यक्रम का संचालन छात्र बलबीर ने किया। इस कार्यक्रम का संयोजन साहित्य वार्ता की ऋतिका ने किया।


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