रोहतक में गुर्जर प्रतिहार राजाओं की टकसाल के प्रमाण मिले
वी.के.शुक्ला, नई दिल्ली
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को हरियाणा के रोहतक के गाव बोहर माजरा के पास एक प्राचीन टीले की खुदाई में गुर्जर प्रतिहार राजाओं के समय की टकसाल होने के प्रमाण मिले हैं। टकसाल से सिक्के बनाने के सांचे व अन्य चीजें मिली हैं। इन पर अंकित चित्रों ने पता चला है कि यह टकसाल राजा मिहिर भोज व विग्रह पाल आदि के समय की हैं। इसके अलावा उस समय के बर्तनों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये सांचे व बर्तन 7वीं सदी से लेकर 8वीं सदी के बीच के हैं। एएसआइ का कहना है कि टीले से मिले अवशेषों का अध्ययन किया जाएगा। उसके बाद ही विस्तार से इस बारे में जानकारी मिल सकेगी।
रोहतक निवासी प्रोफेसर ने दी थी सूचना
रोहतक निवासी प्रो.मनमोहन कुमार के माध्यम से एएसआइ को सूचना मिली थी कि वहां एक टीले की खुदाई में कुछ प्राचीन चीजें निकल रही हैं। जो देखने में ऐतिहासिक लग रही हैं। इस पर एएसआइ के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. बीआर मणि व वरिष्ठ पुरातत्वविद् इंद्रधर द्विवेदी रविवार को रोहतक के गांव माजरा गए थे। जहां से वह टीले के बचे हुए भाग से जो अवशेष एकत्र कर लाए, उनमें सिक्के (मुद्रा) बनाने वाले सांचे शामिल हैं। इन सांचों पर अलग-अलग धुंधले चित्र नजर आते हैं। जो संभवत: अलग-अलग किस्म के सिक्कों के रहे होंगे। सिक्के बनाने के लिए धातु को गरम कर जिन बर्तनों में रखा जाता था, उन बर्तनों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। एएसआइ का कहना है कि वहां पर एक स्थान पर सिक्के बनाने का कार्य किया जाता था। इसी प्रकार उस समय के मिट्टी के बर्तन के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
खुदाई में ख्रत्म हो गया टीला
डॉ. मणि कहते हैं कि यह सांचे ऐतिहासिक धरोहर हैं। जो बोहर माजरा में टकसाल होने का प्रमाण देते हैं। जिस टीले की खुदाई में ये प्रमाण मिले हैं, उस टीले के अधिकतर भाग की खुदाई हो चुकी है। टीले के स्थान पर सरकारी प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। अब वहां पर संरक्षित करने के लिए कुछ नहीं बचा है। एएसआइ ने जो अवशेष वहां से प्राप्त किए हैं उन्हें संरक्षित कर रखा जाएगा तथा इनका विस्तार से अध्ययन कराया जाएगा।
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