किन्नरों की पहचान सुनिश्चित की जाए : डॉ राजेश
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस में किन्नरों के अधिकार उनकी अस्मिता और सशक्तीकरण को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं कुछ किन्नरों ने हिस्सा लिया।
इसमें किन्नरों को देश में पेश आ रही मूलभूत समस्याओं और उनको कार्य कुशल बनाने के लिए चलाए गए कार्यक्रमों पर चर्चा हुई।
दिल्ली विवि के प्रौढ़ शिक्षा एवं सतत विस्तार विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभाग के प्रमुख डॉ. राजेश ने बताया कि किन्नरों को सामाजिक भागीदारी और जनशिक्षण संस्थानों के साथ जोड़कर कार्यकुशल बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की संख्या से अधिक देश में किन्नरों की संख्या है, लेकिन आधार कार्ड, पासपोर्ट और मतदाता पहचान पत्र में इनके लिंग को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने से इनको परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए इनको स्त्री व पुरुष के अलावा तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी जाए। जिससे इनकी पहचान सुनिश्चित हो सके।
वहीं किन्नर रुद्राणी छेत्री ने बताया कि हमारी पहचान सरकार के विभिन्न विभागों के फार्म में अलग-अलग है, कहीं पर हमारे लिए अतिरिक्त का कॉलम है, तो कहीं पर किन्नर का। हमारी मांग है कि हमें एक स्थाई पहचान मिले, जिससे हमें मूलभूत सुविधाएं लेने में आसानी हो।
भारत में किन्नरों पर शोध करने वाली जेएनयू की शोधार्थी इना गोयल ने बताया कि किन्नरों के लिए पहचान का संकट है। जिससे यह सुविधाओं से महरूम हैं। इनके लिए न तो रोजगार के अवसर हैं और न हीं शिक्षा के। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी स्थिति स्पष्ट करने के लिए विस्तार योजना के तहत सुझाव मांगे हैं। जिसके संदर्भ में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
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