ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षो से अधूरे पडे़ हैं सामुदायिक भवन
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : यहां के ग्रामीण इलाके के लोगों का यह दुर्भाग्य है कि बिटिया की बारात हो या बेटे का ब्याह उन्हें आयोजन के लिए किसी खाली स्थान पर ही निर्भर रहना पड़ता है। चुनाव दर चुनाव बीतते गए।ं बाहरी दिल्ली के जिन ग्रामीण इलाके में सामुदायिक भवन बनाने का वादा किया गया था, अब तक वह अधूरा पड़ा है। अब तक किसी ने भी इन अधूरे पडे़ सामुदायिक भवनों को पूरा करने की सुध लेने की जरूरत महसूस नहीं की। यह स्थिति नरेला, बुराड़ी, लामपुर, अलीपुर, सिंघू गांव, लाडपुर व सिरसपुर आदि ग्रामीण इलाके में बनी है। सिंधु गांव में 15 साल से सामुदायिक भवन का निर्माण अधूरा पड़ा है। यह विडंबना है कि इन योजनाओं पर सरकारी फंड के लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन आम लोग आज भी इनका लाभ पाने से वंचित हो रहे हैं।
अधूरा है सामुदायिक भवन
लामपुर गांव में वर्ष 1998 में चुनावी वर्ष के दौरान आनन-फानन में सामुदायिक भवन का शिलान्यास किया गया था, लेकिन अब तक यह अधूरा पड़ा है। हर चुनाव में अधूरे भवन को पूरा करने की बात होती है मगर यह अब तक पूरा नहीं किया गया।
विजय, ग्रामीण
मरम्मतीकरण की योजना लंबित
बांकनेर गांव में सामुदायिक भवन मरम्मतीकरण की योजना कई साल से लंबित है। जो बारातघर है वह जर्जर है। पिछले विधानसभा से पूर्व नए भवन बनने की स्वीकृति दी गई थी, लेकिन निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं कराया गया।
राज सिंह, बांकनेर
नहीं हुआ बारात घर का इस्तेमाल
बुराड़ी में पिछले चुनाव से पूर्व सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से बारात घर का निर्माण कराया गया था। अब तक बारात घर का इस्तेमाल नहीं हो सका है। सामाजिक समारोहों के आयोजन के लिए बारात घर की बुकिंग के लिए किस विभाग या अधिकारी के पास अर्जी लगाएं, यहां के लोगों को यह पता तक नहीं है। दरअसल, निर्माण होने के बाद बारात घर की देखरेख की जिम्मेवारी किसी विभाग को नहीं सौंपी गई है।
राकेश, बुराड़ी गांव
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