यूनिसेफ प्रमुख ने बच्चों के प्रति हिंसा पर जताई चिंता
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
बच्चों के विरुद्ध हिंसा के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए इसे रोकने के लिए यूनीसेफ इंडिया ने बृहस्पतिवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पैनल डिस्कशन का आयोजन किया। इसमें यूनीसेफ द्वारा लांच किए गए सोशल मीडिया अभियान 'टाइम टू साउंड द रेड सायरन' के बारे में भी चर्चा की गई।
इस अवसर पर यूनीसेफ की प्रमुख (एडवोकेसी एवं कम्युनिकेशन) केरोलिन डेन डल्क ने कहा कि सायरन हमेशा खतरे से पहले बजता है, ताकि लोग बचाव का उपाय कर सकें। बच्चों के प्रति हिंसा के मामले में भी यही करने की जरूरत है। विशेषकर लड़कियों पर यौन हिंसा सबसे ज्यादा हो रही है इसलिए उनके प्रति संवेदनशीलता और सतर्क होने की जरूरत है। इस दौरान बच्चों पर हो रही हिंसा के विभिन्न तरीके, इसके कारणों और इन्हें रोकने के उपायों पर चर्चा की गई। चर्चा में शामिल वक्ता रजिया इस्माइल ने कहा कि चाइल्ड वॉच कल्चर शुरू करने की जरूरत है यानी समाज में हो रही किसी घटना का बच्चों पर क्या असर होगा, ये देखा जाए। यह काम प्रशासन तक ही सीमित नहीं, बल्कि ये हर नागरिक की जिम्मेदारी है। साथ ही बच्चों को इस बारे में जागरूक करने की जरूरत है कि किस तरह का व्यवहार गलत की श्रेणी में आता है। इससे डरने की बजाए इसका विरोध कैसे किया जाए या कैसे किसी विश्वसनीय को इस बारे में सूचित किया जाए।
रेड सायरन कैंपेन : 19 जुलाई को यूनीसेफ इंडिया ने टाइम टू साउंड द रेड सायरन नामक सोशल मीडिया कैंपेन शुरू किया था। इसमें एक माह तक यौन हिंसा और इससे बचाव के संभावित समाधान पर चर्चा की गई।
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