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देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बन गया दिल्ली

By Edited By: Published: Tue, 06 Aug 2013 01:02 AM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2013 02:31 AM (IST)
देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बन गया दिल्ली

अजय पांडेय, नई दिल्ली

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सावन की रिमझिम में सुहानी बयार के झोंकों की मस्ती में संभव है कि आप गुजरे जमाने का कोई रोमांटिक गीत गुनगुनाने लग जाएं, लेकिन यकीन मानिए, राजधानी की हवा में खतरनाक जहर घुला हुआ है। इसकी वजह से गंभीर बीमारियों के पांव पसारने का खतरा बढ़ रहा है। केन्द्र से लेकर सूबे की सरकार तक अब यह मान रही है कि दिल्ली की हवा में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थो की मात्रा में तेजी से इजाफा हो रहा है। शहर में लगातार बढ़ते वाहनों की वजह से यह हालत हुई है। दिल्ली देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बन गया है।

केन्द्रीय विज्ञान व तकनीकी मंत्रालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन में यह पता चला है कि बीते एक दशक में राजधानी के वायु प्रदूषण के स्तर में 21 फीसद तक की वृद्धि दर्ज की गई है। अध्ययन में बताया गया है कि इस प्रदूषण से गंभीर बीमारियों के पांव पसारने का खतरा बढ़ रहा है। इनमें सांस की बीमारियों से लेकर दिल से संबंधित बीमारियां तक शामिल हैं।

दिल्ली में सार्वजनिक वाहनों में कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) का चलन वर्ष 2000 में इस दलील के साथ शुरू हुआ कि इससे शहर के प्रदूषण स्तर में गिरावट आएगी। वर्ष 2003 तक सार्वजनिक वाहनों में सीएनजी लगाने का काम लगभग पूरा कर लिया गया। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की निदेशक अनुमिता राय चौधरी की के अनुसार सीएनजी को लेकर चलाए गए इस अभियान के बाद खुद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने यह स्वीकार किया वर्ष 1996 की तुलना में वर्ष 2003-04 में राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर में 24 प्रतिशत तक की कमी आई। चौधरी ने बताया कि वर्ष 2007 तक कमोबेश स्थिति नियंत्रण में रही, लेकिन उसके बाद से प्रदूषण के स्तर में फिर वृद्धि होने लगी। यह सिलसिला अब एक बार फिर से खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है और इसकी सबसे बड़ी वजह वाहनों की निरंतर बढ़ती संख्या है।

दिल्ली सरकार ने भी स्वीकारा : दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने वर्ष 2012-2017 की पंचवर्षीय योजना को लेकर तैयार किए गए अपने एप्रोच पेपर में कहा है कि वायु प्रदूषण के कारण दमा, हार्ट और आंखों से संबंधित बीमारियों में वृद्धि होने का खतरा है। सरकार यह भी कह रही है कि राजधानी की हवा में 70 प्रतिशत प्रदूषण वाहनों की वजह से हो रहा है। कहा गया है कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत बनाकर ही इस स्थिति को काबू में लाया जा सकता है।

सरकार का नया एक्शन प्लान तैयार: पर्यावरणविद् अनुमिता राय चौधरी कहती हैं कि दिल्ली सरकार के साथ मिलकर सीएसई ने एक नई कार्य योजना बनाई है। सरकार की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाना है। इसमें सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के तौर-तरीकों को मजबूत करने तथा निजी वाहनों पर लगाम लगाने के तमाम तौर-तरीके बताए गए हैं। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अध्यक्षता में सोमवार को हुई दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में पर्यावरण विभाग ने इस कार्य योजना का मोटा पुलिंदा पेश भी किया, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया।

खास बातें:

-पार्टिकुलेट मैटर वह अत्यंत सूक्ष्म पदार्थ है, जो हवा में एक प्रकार से घुला रहता है। यह श्वसन प्रणाली में घुसकर फेफड़ों को प्रभावित करता है। राजधानी में यह 2.5 माइक्रोमीटर के साइज में पाया गया है।

-वाहनों से निकलने वाला नाइट्रोजन डायऑक्साइड (एनओ2) भी स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।

-राजधानी में वाहनों की कुल संख्या 75 लाख तक पहुंच गई है। इनमें निजी वाहनों की संख्या सर्वाधिक है।

-दिल्ली में प्रतिदिन 1300 से 1400 तक नए वाहन पंजीकृत होते हैं।

- पड़ोसी शहरों से भी रोज लाखों की संख्या में वाहन दिल्ली में आते-जाते हैं।

बॉक्स:

वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचने का अनुमान गलत नहीं है। दिल्ली सरकार शहर में प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। सीएनजी के प्रयोग से लेकर पेट्रोल की गुणवत्ता तक पर ध्यान दिया गया है। सरकार आगे भी अपना प्रयास जारी रखेगी ताकि वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखा जा सके।

डॉ. अशोक कुमार वालिया, स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली

'यह सही है कि राजधानी में वायु प्रदूषण बढ़ा है और इसकी सबसे बड़ी वजह वाहनों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी है।'

संदीप मिश्रा, सचिव, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति

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