दाखिले का कोटा तय करने पर दो माह में निर्णय ले डीयू
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले में दिल्ली के छात्रों के लिए कोटा तय करने के मामले में उच्च न्यायालय ने डीयू और दिल्ली सरकार को दो महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। डीयू में दाखिले के लिए 85 प्रतिशत आरक्षित कोटा निर्धारित किए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह निर्देश दिया है। जनहित याचिका में कहा गया है कि हर साल दाखिले के लिए देशभर से डीयू में इतने आवेदन आते हैं कि दिल्ली के ज्यादातर छात्रों को दाखिला नहीं मिल पाता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बीडी अहमद व न्यायमूर्ति विभू बाखरू की खंडपीठ ने जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा है कि सरकार व डीयू इस मामले पर मिल कर विचार करें। दो माह में निर्णय लेकर याचिकाकर्ता को सूचित किया जाए।
जनहित याचिका एनजीओ मोक्ष फाउडेशन ने दायर की थी। याचिका में डीयू को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह एक नई नीति अपनाए, जिसमें दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित बारह कालेजों में 85 प्रतिशत सीट दिल्ली के छात्रों के लिए आरक्षित हो। दाखिले का आधार यह रखा जाए कि छात्र दिल्ली के मान्यता प्राप्त स्कूल से बाहरवीं की परीक्षा उत्तीर्ण हो।
एक सर्वे में पाया गया है कि डीयू में सिर्फ 25 प्रतिशत सीटें ही दिल्ली के छात्रों को मिलती है जबकि 75 प्रतिशत अन्य राज्यों के छात्रों को। डीयू में दाखिला न मिलने के कारण दिल्ली के छात्रों को शिक्षा के लिए अन्य राज्यों का रुख करना पड़ता है।
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