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तार ने भेजा आखिरी पैगाम

By Edited By: Published: Mon, 15 Jul 2013 01:48 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2013 12:56 PM (IST)
तार ने भेजा आखिरी पैगाम

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : एक जमाना था, जब त्वरित संदेश प्रेषण का सिर्फ एक माध्यम था बेतार का तार यानी टेलीग्राम। लोग देश-विदेश में अपनों को बधाई व सूचना देने या दुखद संदेश भेजने के लिए तार करते थे। जो सिर्फ एक दिन में संदेश पहुंचा देता था। 163 साल के अपने लंबे सफर में तार ने करोड़ों लोगों तक संदेश पहुंचाया और 14 जुलाई को इसने अलविदा कह नाता तोड़ लिया। सुबह जब आप अखबार के पन्ने पलट रहे होंगे तब तार इतिहास बन चुका होगा। पिछले एक सप्ताह में 4300 से ज्यादा लोगों ने टेलीग्राम कर उसे अलविदा कहा। खास यह कि इस ऐतिहासिक घड़ी में एक तार दैनिक जागरण को भी भेजा गया।

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अंतिम दिन केंद्रीय तारघर में टेलीग्राम करने वालों की भीड़ लगी हुई थी। काउंटर पर घंटों इंतजार करके लोगों ने अपने प्रियजनों व बच्चों को टेलीग्राम किए। कई लोग अपने बच्चों को भी साथ लाए थे, ताकि संचार के इस पुराने माध्यम से उन्हें अवगत करा सकें। केंद्रीय तारघर के चीफ टेलीग्राम मास्टर आरडी राम ने बताया कि अंतिम तीन दिनों में ज्यादा टेलीग्राम हुए हैं। 14 जुलाई को शाम छह बजे तक 900 लोगों ने तार भेजा। एक अन्य अधिकारी राजेंद्र बाबू ने बताया कि टेलीग्राम से लोग शुभकामनाएं, नौकरी आदि का संदेश तो भेजते ही थे, साथ ही बीमारी व निधन की सूचना भी देते थे। 13 जून को इसे बंद करने का आदेश प्राप्त हुआ। अब जब कुछ साल ही नौकरी बची है तो टेलीग्राम का बंद होना कचोट रहा है।

आखिरी दिन राजधानी में थे सिर्फ तीन तारघर कार्यरत

टेलीग्राम सेवा के उप महाप्रबंधक आरपी गौड़ ने कहा कि 1985 में दिल्ली में करीब 40 तारकेंद्र हुआ करते थे। मौजूदा समय में केंद्रीय तार घर के अलावा जनकपुरी, दिल्ली कैंट व कश्मीरी गेट में केंद्र है। आज रविवार होने के कारण जनकपुरी केंद्र शनिवार रात को ही बंद हो गया था। रविवार को तीन केंद्रों से लोगों ने टेलीग्राम किया। उन्होंने बताया कि रविवार रात दस बजे के बाद टेलीग्राम नहीं होगा। संचार तकनीक के विकास के बाद इसका महत्व कम होता चला गया।

ताकि बच्चे भी जाने टेलीग्राम को

केंद्रीय तारघर में हर उम्र के लोगों ने पहुंचकर टेलीग्राम किया। जीवन में पहली बार तार भेजने वाले बहुसंख्यक थे। पश्चिम विहार से बच्चों के साथ आए पुनीत गुप्ता ने बताया कि 25 साल पहले नाना-नानी को टेलीग्राम कर स्कूल की छुट्टियों के बारे में बताया था। आखिरी दिन इसलिए टेलीग्राम कर रहा हूं, ताकि बच्चे भी बड़े होकर जान सकें कि टेलीग्राम भी संचार का एक माध्यम था। डेढ़ घंटे से लाइन में खड़ा हूं पर बारी नहीं आई है। करोल बाग के अभिजीत साकरे ने कहा कि नई पीढ़ी को टेलीग्राम से अवगत कराने के लिए इसे भेजा है। बड़ा हिंदू राव इलाके से आए मोहम्मद आबिद ने कहा कि पहली बार टेलीग्राम कर रहा हूं।

तार से विभाग को हो रहा था नुकसान

टेलीग्राम सेवा पहले डाक व दूरसंचार विभाग के अंतर्गत था। इसके बाद यह दूरसंचार विभाग के अधीन हो गया। अक्टूबर 2002 से यह सेवा बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) के अंतर्गत थी। तार के इस्तेमाल में लगातार कमी से विभाग को सालाना 23 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा था। विभाग के पास वर्तमान में 998 कर्मचारी हैं। 1985 में देश भर में 4500 तारकेंद्र थे, लेकिन सेवा बंद होने तक सिर्फ 75 केंद्र ही रह गए थे।

एक सप्ताह में किए गए टेलीग्राम

8 जुलाई- 178

9 जुलाई- 519

10 जुलाई- 519

11 जुलाई- 353

12 जुलाई- 1326

13 जुलाई- 907

14 जुलाई- 900 (शाम छह बजे तक)

-दो दिन में करीब 2300 तार दूसरे जगहों से प्राप्त भी हुए।

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