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सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को शीर्ष क्रम पर नहीं उतार रही टीमें

अधिकतर टीमें अपने सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को नई गेंद का सामना करने के लिए भेजने का जोखिम नहीं उठा रही हैं। आदित्य तारे, मयंक अग्रवाल, अभिषेक नायर और निक मैडिंसन नियमित रूप से ओपनिंग करने वाले नाम नहीं हैं। इसके बावजूद उन्हें विपक्षी टीमों के संभवत: सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों के खिलाफ यह जिम्मेदारी संभालने के ि

By Edited By: Published: Tue, 22 Apr 2014 09:54 AM (IST)Updated: Tue, 22 Apr 2014 12:49 PM (IST)
सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को शीर्ष क्रम पर नहीं उतार रही टीमें

(रवि शास्त्री का कॉलम)

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अधिकतर टीमें अपने सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को नई गेंद का सामना करने के लिए भेजने का जोखिम नहीं उठा रही हैं। आदित्य तारे, मयंक अग्रवाल, अभिषेक नायर और निक मैडिंसन नियमित रूप से ओपनिंग करने वाले नाम नहीं हैं। इसके बावजूद उन्हें विपक्षी टीमों के संभवत: सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों के खिलाफ यह जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा जा रहा है। मिशेल जॉनसन, मोर्नी मोर्केल, डेल स्टेन, लसिथ मलिंगा, जहीर खान, मिशेलल स्टार्क, जेम्स फॉकनर और मुहम्मद शमी जैसे गेंदबाजों के खिलाफ ये बल्लेबाज बलि के बकरे जैसे साबित हो रहे हैं।

दरअसल इसकी एक खास वजह है। वह यह कि सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज आमतौर पर पारी की शुरुआत में एक ओवर करते हैं और फिर अंतिम पांच ओवरों में वापस लौटते हैं। इस बीच के समय में आप अपने सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को क्रीज पर देखना चाहते हैं। ऐसे खिलाड़ी जो कुछ ही देर में मैच का रुख बदल देते हैं, जैसा कि राजस्थान के खिलाफ डेविड मिलर ने किया।

आंकड़े दिलचस्प हैं। ओपनिंग क्रम में एक शानदार शतकीय साझेदारी चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए अनुभवी ड्वेन स्मिथ और ब्रैंडन मैकुलम के बल्ले से निकली। दूसरी बड़ी साझेदारी इससे बेहद नीचे है। हैरानी की बात है कि अधिकतर टीमें इसके बावजूद खराब शुरुआत से उबरने में कामयाब रही हैं। कोलकाता नाइटराइडर्स ने एक मैच में अपने दोनों ओपनर जल्द गंवा दिए, लेकिन फिर भी टीम ने 160 से अधिक रन बनाने में सफलता पाई।

कमजोर ओपनरों की इस सूची में आप चेतेश्वर पुजारा का नाम भी शामिल कर सकते हैं। आइपीएल-7 में वह दो मैच खेल चुके हैं, लेकिन अभी भी यादगार प्रदर्शन नहीं कर सके हैं। हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह तेजी से सीखने वाले खिलाड़ी हैं। राजस्थान के खिलाफ पुजारा पूरी कोशिश करने के बावजूद हवाई शॉट नहीं खेल सके। उन्होंने लंबे समय तक बल्लेबाजी की, लेकिन करीब सौ की स्ट्राइक रेट से ही रन बना पाए। यह इस युवा खिलाड़ी का मजाक बनाने की बात नहीं है, बल्कि उन्हें बाकी बचे मैचों के लिए सचेत करने के लिए है। मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत को जीवंत पिचों पर 2015 विश्व कप के लिए उनकी जरूरत है। मगर इसके लिए उन्हें अभी से सुबूत देना होगा।

(टीसीएम)


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