शास्त्री ने अटकलों पर लगाया विराम, धौनी और विराट पर रखी अपनी राय
महेंद्र सिंह धौनी के अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया। किसी ने कहा कि शास्त्री-कोहली की बढ़ती नजदीकी के कारण धौनी ने ऐसा चौंकाने वाला फैसला लिया तो किसी ने कहा कि ड्रेसिंग रूम में सबकुछ ठीक नहीं होने की वजह से धौनी
सिडनी। महेंद्र सिंह धौनी के अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया। किसी ने कहा कि शास्त्री-कोहली की बढ़ती नजदीकी के कारण धौनी ने ऐसा चौंकाने वाला फैसला लिया तो किसी ने कहा कि ड्रेसिंग रूम में सबकुछ ठीक नहीं होने की वजह से धौनी को ऐसा फैसला लेना पड़ा। लेकिन पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने एक साक्षात्कार में इन सभी अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि धौनी का फैसला निस्वार्थ था और उनके फैसला का सम्मान किया जाना चाहिए। पेश है साक्षात्कार के मुख्य अंश:
- सवाल: विराट कोहली अगले कप्तान हैं। क्या आपको लगता है कि उन्हें अपनी आक्रामकता पर थोड़ा अंकुश लगाना चाहिए?
- शास्त्री: उसकी आक्रामकता में क्या गलत है? यदि वह तीन टेस्ट में सिर्फ पांच रन बनाता तो मैं उससे बात करता। लेकिन वह सीरीज में 500 रन पूरे करने से सिर्फ एक रन पीछे है लिहाजा वह सही रास्ते पर है जो टीम के और उसके लिए उपयोगी साबित हो रहा है। वह आक्रामक क्रिकेटर है और इन तेवरों के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है। सर विवियन रिचर्ड्स ने भी उसके तेवरों की तारीफ की। पूरा ऑस्ट्रेलिया उसका मुरीद हो गया है क्योंकि उन्होंने अर्से से ऐसा कोई क्रिकेटर नहीं देखा जो उनके देश में उनके खिलाफ इतना आक्रामक रहा हो। विराट युवा है और युवा कप्तान है लिहाजा वह समय के साथ सीखेगा। वह बेहतर क्रिकेटर के रूप में परिपक्व होगा।
- सवाल: उस पल के बारे में बताइए जब एमएस धौनी ने टीम के सामने अपने संन्यास का एलान किया? ड्रेसिंग रूम की प्रतिक्रिया क्या थी?
- शास्त्री: सभी हैरान थे। मैच के बाद की गतिविधियां पूरी करके वह ड्रेसिंग रूम में आया और कहा कि टेस्ट क्रिकेट में उसका समय पूरा हो चुका है। हम सभी स्तब्ध रह गए। जिस तरीके से उसने कहा, उससे जाहिर था कि यह सोच समझकर लिया गया फैसला है। उसने अपने परिवार से भी पहले साथी खिलाडि़यों को बताया। वह हमारे साथ ईमानदार रहा और मेरी नजर में उसकी इज्जत कई गुना बढ़ गई। धौनी भारत के महानतम क्रिकेटरों में से है। उसने कभी आंकड़ों का पीछा नहीं किया। वह खुद के साथ ईमानदार रहा और टीम इसके लिए उसका सम्मान करती है।
- सवाल: धौनी ने 2013 के आखिर में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के संकेत दिए थे, लेकिन उन्होंने पूरे एक साल इसका इंतजार किया। इसके पीछे क्या कारण नजर आता है?
- शास्त्री: मुझे लगता है कि उसने काफी सोच समझकर यह फैसला किया। पिछले एक साल में इस टीम पर काफी मेहनत की गई है और उसे लगा कि यह समय एक युवा कप्तान को कमान सौंपने का है। उसने यह सुनिश्चित किया कि उसके जाने के बाद कप्तानी को लेकर अटकलबाजी न हो। वह बिना कारण नहीं जा रहा है और न ही टाइमिंग खराब है। यह धौनी का निस्वार्थ फैसला है। देश के लिए 25 साल खेलने के बाद सचिन तेंदुलकर अपवाद थे और सही भी है, लेकिन अतीत में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जो आंकड़ों के लिए खेले या भव्य विदाई समारोह की ख्वाहिश में खेलते रहे। लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्हें इसकी चाह नहीं थी और धौनी उन्हीं में से एक हैं। लोग उसके इरादों को लेकर अटकलें लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि उसने डूबते जहाज को छोड़ दिया। खेलने की बात तो छोड़ दीजिए, क्या इन लोगों ने उसका पांच प्रतिशत क्रिकेट देखा भी है, जितना धौनी ने खेला है।
- सवाल: विश्व कप 2015 के बाद डंकन फ्लेचर का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। क्या आप टीम के साथ पूर्णकालिक भूमिका निभाने को तैयार हैं?
- शास्त्री: मेरा काम बीसीसीआइ के सामने टीम के हित में सुझाव रखना है। विश्व कप के बाद भी मैं बीसीसीआइ को यही बताउंगा कि भारतीय क्रिकेट टीम से सर्वश्रेष्ठ नतीजे लेने के लिए और क्या करना होगा। उसके बाद बोर्ड तय करेगा कि भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ हित में क्या है और वह मुझे भी स्वीकार्य होगा।
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- सवाल: भारतीय खिलाडि़यों ने आपके योगदान की तारीफ की है। आपने उनसे क्या कहा?
- शास्त्री: मेरा काम ड्रेसिंग रूम में उन्हें अनुकूल माहौल देना है। हम सभी इसी कोशिश में लगे हैं, चाहे डंकन फ्लेचर हों, आर श्रीधर, बी अरुण या संजय बांगड़। हम उनसे क्रिकेट की भाषा में बात करते हैं। जब मैं सबसे पहले टीम से जुड़ा तो मुझे लगा कि वे खेल का मजा नहीं ले रहे हैं तो मेरा निजी लक्ष्य उनके खेल में उसे लौटाना था।
- सवाल: क्या कारण था कि खिलाड़ी अपने खेल का मजा नहीं ले रहे थे?
- शास्त्री: मैं इस बारे में नहीं कह सकता, लेकिन मुझे ऐसा महसूस हुआ। मैंने खिलाडि़यों से कहा कि यह नौ से छह की नौकरी नहीं है जो वह मैदान पर कर रहे हैं या कम्प्यूटर के सामने बैठे हैं। वे मैदान पर अपने देश की नुमाइंदगी कर रहे हैं और उन्हें इसमें गर्व महसूस करना चाहिए। यह खिलाड़ी बेहतरीन क्रिकेट खेल सकते हैं, उन्हें बस नजरिए में हलके बदलाव की जरूरत थी।