Move to Jagran APP

मेरे पास छुपाने को कुछ भी नहींः सचिन

2013 में संन्यास के बाद सचिन तेंदुलकर का जीवन पूरी तरह से बदल गया है। सचिन अपने बीते लम्हों को आत्मकथा के रूप में दुनिया के सामने रख चुके हैं। वह पहले से कहीं अधिक स्पष्टवादी हो गए है। आत्मकथा से पहले सचिन ने हमसे बातचीत की। बातचीत के दौरान

By ShivamEdited By: Published: Wed, 10 Dec 2014 12:16 PM (IST)Updated: Wed, 10 Dec 2014 12:29 PM (IST)
मेरे पास छुपाने को कुछ भी नहींः सचिन

style="text-align: start;">

loksabha election banner

2013 में संन्यास के बाद सचिन तेंदुलकर का जीवन पूरी तरह से बदल गया है। सचिन अपने बीते लम्हों को आत्मकथा के रूप में दुनिया के सामने रख चुके हैं। वह पहले से कहीं अधिक स्पष्टवादी हो गए है। आत्मकथा से पहले सचिन ने हमसे बातचीत की। बातचीत के दौरान सचिन ने अपनी कप्तानी, ग्रेग चैपल और कई अंजाने पहलुओं को छुआ।

प्र. क्या आपने अपनी आत्मकथा को अपने अंदाज में लिखा है?

सचिनः अपने जीवन के सभी पहलुओं को आत्मकथा में डालना संभव नहीं है लेकिन जहाँ तक संभव है मैंने बहुत ही ईमानदारी के साथ सभी पहलुओं को अपनी आत्मकथा प्ले इट माई वे में सामने लाने की कोशिश की है।

प्र. आपके जीवन में कौन सी ऐसी बातें थी जिसे व्यक्त करना कठिन था?

सचिनः मेरे लिय बहुत कठिन था अपनी भावनाओं और संबंधों को अंजलि के सामने रखना, वह मेरे दिल के बहुत करीब रहती थी, इस बात को कुछ नजदीकी दोस्तों के साथ-साथ मेरे और अंजलि के परिवार वाले अच्छी तरह से जानते हैं।

प्र. आपने कप्तानी क्यों छोड़ी ?

सचिनः एक कप्तान के रूप में मुझे बहुत दुःख होता था, सचमुच लगातार हार से मैं परेशान हो गया था, यहाँ तक की मैं घर पर भी परेशान रहने लगा, मैं लगातार इस बारे में सोचता था, मुझे लग रहा था कि मैं एक खिलाड़ी के रूप में अच्छा योगदान दे सकता हूँ और नए कप्तान के साथ अपने अनुभव को साझा कर सकता हूँ, कप्तानी के बाद मैंने अपनी दूसरी पारी शुरू की।

प्र. विश्व कप जीतने के बाद कैसा महसूस कर रहे थे ?

सचिनः वह पल मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन पल था, मैं उस पल को और जीना चाहता था, इस खुशी को पाने के लिए हम सभी को एक लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ा, मैं वर्तमान में ही रहना चाहता था, विश्व कप में मैंने अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिया, टूर्नामेंट में मैं दूसरा सबसे ज्यादा रन बनाने वाला खिलाड़ी बना। मैं मैदान के चारों ओर एक बार और धूमना चाहता था।

प्र. आप सफलता को कैसे परिभाषित करेंगे ?

सचिनः सफलता संतुष्टि के साथ जुड़ी होती है, आप जो कुछ पाते हो उसे लोगों के बीच बांटते हो इससे हमें खुशी और संतुष्टि मिलती है, आपने देखा मुंबई में 2011 के विश्व कप को हम लोगों ने जीता, इससे लोगों में और उम्मीद बढ़ी, यही उम्मीद आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्ररित करती रहेगी।

(विजडन इंडिया)

क्रिकेट की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें

खेल जगत की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.