चैंपियंस ट्रॉफी से हटे तो संकट में पड़ेगी आइपीएल
क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था में कभी सर्वेसर्वा रहा भारतीय बोर्ड अब अलग थलग पड़ गया है।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के दो धुरंधरों की व्यक्तिगत लड़ाई अब दो संस्थाओं की लड़ाई में तब्दील हो गई है। पूर्व बीसीसीआइ व आइसीसी अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के सहयोगी किसी भी कीमत पर पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष और वर्तमान आइसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर के फैसलों को मानने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था में कभी सर्वेसर्वा रहा भारतीय बोर्ड अब अलग थलग पड़ गया है।
बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी श्रीनिवासन के करीबी हैं और बोर्ड के कुछ लोगों का कहना है कि ये इस समय श्रीनिवासन का ही एजेंडा चला रहे हैं जिस कारण दुबई की बैठक में भारत को अलग-थलग होना पड़ा। यही नहीं अगर भविष्य में भारत चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का फैसला करता है तो सबसे पहला संकट आइपीएल के आयोजन पर पड़ेगा। बीसीसीआइ के एक अधिकारी ने कहा कि मेरी दुबई में बैठक में भाग लेने गए बोर्ड के सीईओ राहुल जौहरी से भी बात हुई। कुल मिलाकर निष्कर्ष ये है कि जल्द ही बोर्ड की विशेष आम सभा (एसजीएम) बुलाई जाएगी। निश्चित तौर पर इस बार उसमें बवाल मचेगा और दोनों चौधरी की राह आसान नहीं होगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत चैंपियंस ट्रॉफी से हटेगा? तो उन्होंने कहा कि अगर हम ऐसा करते हैं तो सबसे पहले आइपीएल खतरे में पड़ जाएगी, क्योंकि बाकी देश अपने खिलाडिय़ों को इसमें खेलने से मना कर सकते हैं। ऐसे में बीच में ही आइपीएल बंद हो जाएगी। यही नहीं आगे भी इस लीग का आयोजन करना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही आइसीसी हमें प्रतिबंधित कर सकता है और लंदन में बीसीसीआइ पर मुकदमा भी हो सकता है। कुल मिलाकर विश्व क्रिकेट में बवाल मच जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह दो लोगों की व्यक्तिगत लड़ाई हो गई है। सभी को पता है कि मनोहर और श्रीनिवासन एक-दूसरे को फूटी आंख पसंद नहीं करते हैं। मनोहर चाहते हैं कि बीसीसीआइ बड़े भाई का रवैया रखते हुए अन्य बोर्डों को भी ज्यादा धन देने के रास्ते पर चलने में मदद करे। वह बड़ी सोच लेकर चलना चाहते हैं, जबकि श्रीनिवासन को लगता है कि वह बीसीसीआइ को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस समय बोर्ड के तीन पदाधिकारियों में से दो श्रीनि के करीबी हैं और वे वैसा ही कर रहे हैं जैसा उन्हें निर्देश मिल रहे हैं।
अभी मिल सकते हैं अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर :
बीसीसीआइ के अधिकारी ने कहा कि मनोहर ने नए वित्तीय मॉडल के जरिये अतिरिक्त दस करोड़ डॉलर (लगभग छह अरब, 43 करोड़ रुपये) देने की जो पेशकश की थी उसे भले ही बीसीसीआइ ने ठुकरा दिया हो, लेकिन उस बात को मानने का रास्ता अभी खुला हुआ है। मेरी जौहरी से बात हुई है और उन्होंने कहा है कि अगर बीसीसीआइ सहमत होता है तो हम उस विकल्प को अभी भी अपने पक्ष में कर सकते हैं। मौजूदा राजस्व वितरण मॉडल में बीसीसीआइ को अब आइसीसी से 57.90 करोड़ (लगभग 36 अरब रुपये) की जगह 29 करोड़ डॉलर (लगभग 18 अरब रुपये) मिलेंगे। ये अभी भी 39 करोड़ डॉलर (लगभग 24 अरब, 43 करोड़ रुपये) हो सकते हैं।