भारत का चैंपियंस ट्रॉफी से हटना आसान नहीं
दुबई में बुधवार को हुई आइसीसी बोर्ड की बैठक में राजस्व और प्रशासन मॉडल का विरोध कर रहा बीसीसीआइ अलग-थलग पड़ गया।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) को भले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) ने करारा झटका दिया हो, लेकिन इसके बावजूद भारत का चैंपियंस ट्रॉफी से हटना बेहद मुश्किल होगा।
दुबई में बुधवार को हुई आइसीसी बोर्ड की बैठक में राजस्व और प्रशासन मॉडल का विरोध कर रहा बीसीसीआइ अलग-थलग पड़ गया। बीसीसीआइ की तरफ से पहले ही कहा जा रहा था कि वह आइसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर की बात नहीं मानेगा और अगर उसकी बात नहीं सुनी गई तो वह एक जून से इंग्लैंड में शुरू होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी में अपनी टीम भेजने से भी मना कर सकता है। यही कारण है कि अंतिम तिथि गुजरने के बाद बीसीसीआइ ने अभी तक टीम इंडिया का चयन भी नहीं किया है। बुधवार को आइसीसी बोर्ड की बैठक में बीसीसीआइ को मिले झटके के बाद यहां उसके राज्य क्रिकेट संघों के अधिकारियों में बेचैनी है और रात में ही वे आपस में बात करने में जुटे रहे। बीसीसीआइ के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने दुबई गए कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष से वहां हुई बैठक की जानकारी भी मांगी है।
बीसीसीआइ के एक बड़े दिग्गज से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने बीसीसीआइ की पिछली विशेष आम सभा (एसजीएम) में ही कहा था कि कहीं आइसीसी की बैठक में हम दरकिनार न कर दिए जाएं। शशांक पहले ही कह रहे थे कि बीच का रास्ता मान जाओ नहीं तो परिणाम 1-9 होगा और ऐसा हुआ भी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग एन श्रीनिवासन का एजेंडा चलाने के लिए आइसीसी और मनोहर का अंध विरोध कर रहे हैं। विरोध किया जाना चाहिए, लेकिन इससे भारत का नुकसान नहीं होना चाहिए। जहां तक चैंपियंस ट्रॉफी से भारत के हटने का सवाल है तो इसको लेकर बीसीसीआइ दोफाड़ है। पहले भी एसजीएम में कई लोगों ने चेताया था और अब तो राज्य संघ और भी मुखर होंगे, क्योंकि जनता को बीसीसीआइ के मुनाफे या राजस्व से ज्यादा टीम इंडिया के क्रिकेट से मतलब है।
सबसे बड़ी बात ये है कि इसको लेकर बीसीसीआइ के पदाधिकारियों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के बीच भी विरोध है। आइसीसी बैठक में भी जहां सीओए बीच का रास्ता निकालने के पक्ष में था तो बोर्ड के पदाधिकारी सीधा पंगा लेने के मूड में थे और ऐसा हुआ भी। अब अगर बोर्ड के कुछ पदाधिकारी चैंपियंस ट्रॉफी से हटने की बात करते हैं तो सीओए सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले सकता है। निश्चित तौर पर चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का फैसला इतना आसान नहीं होगा।