रहाणे और कोहली की जोड़ी ने भारतीय टेस्ट इतिहास में पहली बार किया ये कमाल
विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे ने भारतीय टेस्ट इतिहास में पहली बार किया ये कमाल। विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे की जोड़ी ने चौथे विकेट के लिए की 300 से ज़्यादा रन की साझेदारी।
इंदौर। विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे की जोड़ी ने इंदौर में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट में एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसे कोई भी भारतीय जोड़ी आज तक नहीं कर पाई थी। दरअसल न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन रहाणे और कोहली के बीच चौथे विकेट के लिए 300 से ज्यादा रन की साझेदारी हुई। भारत के टेस्ट क्रिकेट इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी भारतीय जोड़़ी ने चौथे विकेट के लिए 300 या उससे ज़्यादा रन जोड़े हो।
विराट-रहाणे की जोड़़ी से पहले चौथे विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली के नाम थी, इन दोनों ने 1999 में कीवी टीम के खिलाफ 281 रन जोड़े थे। इसके बाद गंभीर और लक्ष्मण की जोड़ी ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध 278 रन की साझेदारी की थी। इसके बाद चौथे विकेट के लिए एक बार फिर से सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की बड़ी साझेदारी आती है, जो उन्होंने 1997 में श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए बनाई थी। श्रीलंका के खिलाफ सचिन और सौरव ने 256 रन जोड़़े थे। लेकिन कोहली और रहाणे की जोड़ी ने इन सभी को पीछे छोड़ते हुए एक नया कीर्तिमान बना दिया।
टेस्ट क्रिकेट में ये दूसरा मौका है जब विराट और रहाणे की जोड़ी ने द्विशतकीय साझेदारी की हो। इससे पहले इस जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2014 में मेलबर्न के मैदान पर 262 रन की साझेदारी की थी।
इंदौर टेस्ट की पहली पारी में दोनों बल्लेबाज़ों को शतकों की मदद से भारत मजबूत स्थिति में पहुंच गया। भारत ने दूसरे दिन सुबह 267/3 से आगे खेलना शुरू किया। विराट और रहाणे ने पूरे आत्मविश्वास के साथ रन बटोरे। इस बीच मैट हैनरी की बाउंसर पर रहाणे गेंद को ठीक से छोड़ नहीं पाए और गेंद उनके हेलमेट की साइड की जाली पर जाकर टकराई। न्यूजीलैंड के सभी खिलाड़ी, विराट और अंपायर दौड़कर रहाणे के पास पहुंचे, लेकिन उन्होंने कोई चोट नहीं लगी थी।
विराट और रहाणे ने 374 गेंदों में दोहरी शतकीय भागीदारी पूरी की। रहाणे ने ट्रेंट बोल्ट की गेंद पर एक रन लेते हुए अपना शतक पूरा किया। यह उनका न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरा तथा टेस्ट करियर का आठवां शतक है। उन्होंने 210 गेंदों में 11 चौके और 1 छक्का लगाया।
मेजबान टीम का लक्ष्य दूसरे दिन स्कोर को 450 के उपर पहुंचाने का रहेगा। भारतीय टीम इस टेस्ट में टॉस जीतकर पहले ही मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर चुकी है, क्योंकि होलकर स्टेडियम में चौथी पारी में बल्लेबाजी करना बेहद कठिन हो जाता है। 2005 से अभी तक इस मैदान पर खेले गए प्रथम श्रेणी मैचों पर नजर डाली जाए तो यहां पहली पारी का औसत स्कोर 359 रहा है। वैसे तो भारत के सभी मैदानों पर चौथी पारी में बल्लेबाजी करना मुश्किल होता है, लेकिन होलकर स्टेडियम में तो यह काम बहुत दिक्कतभरा हो जाता है और यहां चौथी पारी का औसत स्कोर मात्र 103 रहा है।