41वीं बार मुंबई बना रणजी चैंपियन, शार्दुल ने लिए पांच विकेट
मुंबई ने शुक्रवार को सौराष्ट्र को एक पारी और 21 रन से हराकर 41वीं बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता।
पुणे। मुंबई ने सौराष्ट्र को एक पारी और 21 रन से हराकर 41वीं बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता। शार्दुल ठाकुर ने पांच विकेट लेकर सौराष्ट्र को दूसरी पारी में 115 रन पर ऑलआउट कर दिया। सौराष्ट्र की पहली पारी 235 रन पर खत्म हुई थी। जवाब में मुंबई ने पहली पारी में श्रेयस अय्यर (117) के शतक की बदौलत 371 रन बनाए थे।
सौराष्ट्र की दूसरी पारी में शार्दुल ठाकुर की कहर बरपाती गेंदों के सामने कोई बल्लेबाज टिक नहीं सका। उन्होंने दूसरी पारी के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर चेतेश्वर पुजारा (27) को हरवधकर के हाथों कैच कराकर अपना पहला शिकार किया। इसके बाद शार्दुल ने सौराष्ट्र के कप्तान जयदेव शाह (13), चिराग जानी (11), दीपक पुनिया (3) को जल्दी-जल्दी पैवेलियन भेजा। हार्दिक राठौड़ (2) को क्लीन बोल्ड करने के साथ ही शार्दुल ने मुंबई को 41वीं बार रणजी ट्रॉफी का चैंपियन बना दिया।
ठाकुर के अलावा धवल कुलकर्णी और बलविंदर संधू ने दो-दो तथा अभिषेक नायर ने एक विकेट लिया।
मुंबई ने 45वीं बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में प्रवेश किया था। यह उसका 41वां खिताब है। मजेदार बात यह है कि 2013 में रणजी ट्रॉफी फाइनल मुंबई और सौराष्ट्र के बीच ही खेला गया था, जिसमें मुंबई ने बाजी मारी थी। मुंबई ने तब एक पारी और 125 रन सौराष्ट्र को पटखनी दी थी।
खास रिकॉर्ड
- मुंबई ने रणजी ट्रॉफी फाइनल में 10वीं बार किसी टीम को एक पारी के अंतर से हराया है। यह कारनामा कोई और टीम नहीं कर पाई है।
- विकेटकीपर आदित्य तारे ने एक सत्र में सर्वाधिक कैच लेने के श्रीकर भरत के रिकॉर्ड को तोड़ा। भरत ने 2014-15 सत्र में 46 शिकार किए थे।
- सिद्धेश लाड (88) और बलविंदर संधू (नाबाद 34 रन) ने 10वें विकेट के लिए 103 रन की साझेदारी की। उन्होंने 1967-68 में अशोक मांकड और सुशील सिंघवी के नाबाद 87 रन की साझेदारी के रिकॉर्ड को तोड़ा।
- श्रेयस ने एक रणजी सत्र में 11 अर्धशतक बनाए। वह एक सत्र में सबसे अधिक अर्धशतक लगाने के मामले में संयुक्त रूप से शीर्ष पर पहुंच गए हैं। विजय भादद्वाज (1998-99) और अभिषेक नायर (2012-13) ने 11-11 अर्धशतक जमाए थे।
- प्रेरक मांकड ने 2014-15 में सौराष्ट्र की तरफ से रणजी ट्रॉफी फाइनल में पदार्पण किया। उनसे पहले 2010-11 में अभिजीत करमबेलकर ने बड़ौदा बनाम राजस्थान में पदार्पण किया था।