एसजीएम में भाग नहीं ले पाएंगे श्रीनिवासन व शाह
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि एससीएम में सिर्फ राज्य क्रिकेट संघ के पदाधिकारी ही शामिल होंगे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और पूर्व उपाध्यक्ष निरंजन शाह को गुरुवार को होने वाली स्पेशल जनरल मीटिंग (एसजीएम) में शामिल न होने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि एसजीएम में सिर्फ राज्य क्रिकेट संघ के पदाधिकारी ही शामिल होंगे।
इसका सीधा सा मतलब यह है क्रिकेट संघों द्वारा नामित सदस्य के रूप में कोई भी व्यक्ति एसजीएम में शामिल नहीं हो सकेगा। श्रीनिवासन तमिलनाडु क्रिकेट संघ और शाह सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के नामित के तौर पर बैठक में भाग लेते थे। श्रीनिवासन और शाह ने लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं के खिलाफ 70 वर्ष की उम्र सीमा पार कर ली है, इस वजह से उन्हें अयोग्य करार दिया गया है। बीसीसीआइ ने एक अधिकारी ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि राजीव शुक्ला और ज्योतिरादित्य का भी एसजीएम में भाग लेना मुश्किल होगा, क्योंकि ये दोनों ही फिलहाल अपने राज्य संघों के पदाधिकारी नहीं हैं।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने साथ ही कहा कि एसजीएम में लोढ़ा समिति की वो सिफारिशें लागू की जाएं, जो अभी तक मुमकिन हैं। अदालत ने अपने आदेश में ऐसे संकेत दिए हैं कि वह लोढ़ा समिति की एक राज्य और एक वोट, रेलवे, सर्विसेज और भारतीय विश्वविद्यालय संघ को सहायक सदस्यों की मान्यता की सिफारिशों पर पुर्नविचार कर सकती है। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा राज्य संघों का उन अधिकारियों का एसीजीएम के लिए भेजना जो लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक अयोग्य हैं, इस मामले पर वह विचार करेगी।
शीर्ष अदालत 18 अगस्त को अपनी अगली सुनवाई में बीसीसीआइ का संचालन कर रही प्रशासकों की समिति में दो खाली पड़े पदों पर नई नियुक्तियों का भी फैसला करेगी। सीओए का नेतृत्व पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय कर रहे हैं। इतिहासकार रामचंद्र गुहा और विक्रम लिमये के सीओए से इस्तीफे के बाद यह जगह खाली हुई है।
बीसीसीआइ ने श्रीनिवासन का समर्थन करते हुए अदालत के इस फैसले का विरोध किया। बोर्ड ने दलील दी कि लोढ़ा समिति नामित सदस्य श्रीनिवासन को बैठक में हिस्सा लेने से इस तरह रोक नहीं सकती है। बोर्ड ने दलील में यह भी कहा कि पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष ने पहले भी चार बैठकों में हिस्सा लिया था और पहले किसी ने इस पर कोई सवाल नहीं उठाया। लेकिन जब उन्होंने लोढ़ा समिति का विरोध किया तब उन्हें बैठक में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अदालत में श्रीनिवासन की ओर से पेश हुए और उन्होंने दलील दी कि लोढ़ा समिति किसी नामित सदस्य को नहीं रोक सकती है और श्रीनिवासन को जानकर निशाना बनाया जा रहा है।