धौनी की जगह लेने वाला खिलाड़ी बोला, माही को कभी स्लेजिंग करते नहीं देखा
टर्न और बाउंस पिच पर विकेटकीपर का काम काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
कोलंबो, पीटीआइ। ऐसी पिचें पर जहां टर्न और बाउंस मिल रहा हो, किसी विकेटकीपर का काम काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। लेकिन जब इस तरह की पिचों पर रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन गेंदबाजी करते हैं तो यह ऋद्धिमान साहा के लिए काफी लुत्फ उठाने वाला मौका बन जाता है।
अश्विन और जडेजा ने सीरीज के दूसरे टेस्ट में स्पिन की मददगार परिस्थितियों में श्रीलंकाई बल्लेबाजों को पूरी तरह अपने शिकंजे में कसते हुए भारत को पारी और 53 रन से जीत दिलाई थी। साहा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'मैं इस तरह के विकेट पर अश्विन-जडेजा की गेंदों पर कीपिंग करने का लुत्फ उठाता हूं। यदि ढेर सारी गेंदें कीपर के पास आती हैं तो यह अच्छा होता है, अन्यथा पूरे दिन में हमारे पास सिर्फ 10-12 गेंदें ही आती हैं। यदि आपके पास बहुत सी गेंदें आती हैं तो हमेशा ज्यादा फोकस बनाए रहते हो। अगर आपको बाउंस से सामंजस्य बैठाना है तो आपको थोड़ा पहले खड़ा होना होगा और यह अच्छा रहा। यह सामान्य सी बात है। मैं बचपन से यह देख और सीख रहा हूं कि गेंद के बाउंस के साथ आपको उठना होगा, लेकिन इस विकेट पर ज्यादा बाउंस था, इसलिए मैं थोड़ा बदलाव करते हुए कुछ जल्दी उठ रहा था। विकेट पर कुछ जगह ऐसी थीं जहां से गेंद को ज्यादा बाउंस मिल रहा था। ऑफ स्पिनर ऐसी बाउंसर डाल रहा था कि जैसे कोई तेज गेंदबाज हो, लेकिन तेज गेंदबाजों को यहां उतना बाउंस नहीं मिल रहा था। हार्दिक और शमी धीमी और कटर गेंदों का इस्तेमाल कर रहे थे। ऐसी पिचों के लिए हमने आर श्रीधर के साथ मिलकर अलग तरह से तैयारी की है और काम किया है।Ó
साहा ने दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में दो बेहतरीन कैच लपकते हुए कुशल मेंडिस और एंजेलो मैथ्यूज की पारी का अंत किया। उन्होंने कहा, 'सबसे पहले जब गेंद ने मेंडिस के बल्ले का अंदरूनी किनारा लिया तो मुझे लगा कि वह बोल्ड हो जाएगा, लेकिन गेंद पैड से टकराने के बाद उछल गई। गति कम थी इसलिए मुझे गेंद तक पहुंचने का अधिक समय मिला और मैंने कूद कर कैच लपक लिया। यह अच्छा विकेट था। इससे मुश्किल विकेट पर मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। मैथ्यूज का कैच अपने आप हाथ में आ गया। मैं भाग्यशाली था। यह अजिंक्य रहाणे के ऊपर से निकल सकता था, लेकिन मैं भाग्यशाली रहा कि यह हाथ में आ गया।
अपने सर्वश्रेष्ठ कैचों के बारे में बताते हुए साहा ने कहा, 'पुणे में स्टीव ओकीफी (2015), बेंगलुरु में एबी डिविलियर्स (2015) और बेंगलुरु में ही मैथ्यू वेड (2017), मुझे लगता है कि ये टेस्ट क्रिकेट में मेरे सर्वश्रेष्ठ कैच हैं।
स्लेजिंग जरूरी नहीं
ऋद्धिमान साहा ने अपने पूर्ववर्ती विकेटकीपर महेंद्र सिंह धौनी की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी तरह वह भी विपक्षी बल्लेबाजों के लिए स्लेजिंग करने में विश्वास नहीं करते हैं और ज्यादातर विकेटकीपर ऐसा नहीं करते हैं।
साहा से जब स्लेजिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैंने एमएस धौनी को कभी स्लेजिंग करते हुए नहीं देखा। इसलिए यह जरूरी नहीं कि आपको स्लेजिंग करनी पड़े। कभी-कभी (विपक्षियों को परेशान करने के लिए) यह कहकर कि पिच खराब है या तुमने खराब शॉट खेला, हम चीजों को रोचक बना सकते हैं। यह ज्यादा बेहतर है।
अपने समकालीनों की तरह साहा के आदर्श एडम गिलक्रिस्ट हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने बचपन से एडम गिलक्रिस्ट की बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग की शैली को पसंद किया। मेरे लिए वह एक आदर्श विकेटकीपर हैं। मार्क बाउचर और इयान हिले जैसे अन्य विकेटकीपर भी अच्छे थे, लेकिन गिलक्रिस्ट मेरे पसंदीदा थे।