बीसीसीआइ के बैन को किनारे रखकर खेलेंगे श्रीसंत, स्कॉटलैंड भी जाएंगे
टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज एस श्रीसंत ने कहा है कि वह बीसीसीआइ के लगाए गए आजीवन प्रतिबंध को नहीं मानते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। आइपीएल में मैच फिक्सिंग के आरोपों की वजह से बीसीसीआइ का आजीवन प्रतिबंध झेल रहे टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज एस श्रीसंत ने कहा है कि वह इस प्रतिबंध को नहीं मानते हैं। आपको बता दें कि श्रीसंत ने हाल ही में स्कॉटलैंड में टी 20 क्रिकेट लीग खेलने के लिए बीसीसीआइ से इजाजत मांगी थी, जिसे बीसीसीआइ ने ठुकरा दिया। अब श्रीसंत बीसीसीआइ के इस प्रतिबंध को ठुकराने की तैयारी में हैं।
बीसीसीआइ ने श्रीसंत को भेजे जवाब में बताया था कि उन्हें देश के अंदर या बाहर किसी भी तरह की क्रिकेट गतिविधि में भाग लेने की इजाजत नहीं है। बीसीसीआइ के इस जवाब से नाराज होकर श्रीसंत ने एरनाकुलम क्रिकेट क्लब की ओर से दो दिवसीय प्रथम श्रेणी मैच खेलने का फैसला किया है।
श्रीसंत ने कहा है कि उनके वकील दस्तावेज तैयार करने में जुटे हैं, ताकि उनके मैदान पर उतरने को लेकर कोई विवाद न रहे। उन्होंने कहा कि अगर वह 19 फरवरी को केरल के क्लब की ओर से मैच खेलते हैं, तो इसके बाद वह सीधा स्कॉटलैंड के लिए रवाना हो जाएंगे। इस तेज गेंदबाज ने कहा कि अब 4 से 5 साल का ही उनका क्रिकेट करियर बचा है, जिसका वह पूरा मजा लेना चाहते हैं। वहीं, बीसीसीआइ ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया हुआ है। बीसीसीआइ के एक अधिकारी ने कहा है कि अगर किसी क्लब ने श्रीसंत को खिलाया तो बोर्ड उस पर भी प्रतिबंध लगा सकता है।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक 34 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, 'बीसीसीआइ द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए आजीवन प्रतिबंध का कोई आधिकारिक पत्र जारी नहीं किया गया तो अंपायर क्यों मना कर रहे हैं? मैं जब तिहाड़ जेल में बंद था, तो बीसीसीआइ की ओर से मुझे सिर्फ सस्पेंशन लेटर भेजा गया था। ऐसे पत्र की वैद्यता सिर्फ 90 दिनों की होती है। बोर्ड ने मेरे ऊपर आजीवन प्रतिबंध के बारे में सिर्फ मीडिया से बात की है। मुझे आज तक इसका कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है।'
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श्रीसंत ने कहा, 'मैं बेवकूफ हूं जो इतने दिन से क्रिकेट नहीं खेल रहा था। मेरे साथ जो व्यवहार किया गया वैसा किसी आतंकवादी के भी साथ नहीं किया जाता।' 2013 के आइपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के आरोपी बनने के बाद से श्रीसंत का क्रिकेट करियर थम गया था। हालांकि, उन्हें दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में बरी कर दिया था, लेकिन बोर्ड ने उन पर लगाया आजीवन प्रतिबंध कायम रखा है।