द्रविड़ का सलाहकार समिति में शामिल नहीं होना अहं का टकराव तो नहीं?
एक दशक से ज्यादा समय तक 'फेब फोर' को टीम इंडिया को संकट से बाहर निकालने के लिए जाना जाता था। लेकिन बीसीसीआइ की सलाहकार समिति में राहुल द्रविड़ का नाम गायब देखकर सबके लिए चौंकना लाजमी था।
कोलकाता। एक दशक से ज्यादा समय तक 'फेब फोर' को टीम इंडिया को संकट से बाहर निकालने के लिए जाना जाता था। लेकिन बीसीसीआइ की सलाहकार समिति में राहुल द्रविड़ का नाम गायब देखकर सबके लिए चौंकना लाजमी था।
सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण को इस सलाहकार समिति में शामिल किया गया। इनकी भूमिका बैटिंग मेंटर, विदेशों में सफलता की योजना बनाना और बेंच स्ट्रैंथ मजबूत करना है।
पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ राजस्थान रॉयल्स के मेंटर के रूप में सफल होने की वजह से इस पद के लिए सबसे उपयुक्त पसंद होने चाहिए थे। बताया जा रहा है कि द्रविड़ ने व्यावसायिक हितों की वजह से सलाहकार का पद संभालने से इंकार किया है, लेकिन बीसीसीआइ सूत्रों के मुताबिक द्रविड़ ने अहं के टकराव की वजह से इस समिति में शामिल होने से इंकार किया है। ऐसा लगता है कि द्रविड़ को गांगुली के साथ काम करने में सहजता महसूस नहीं होती है, इसी वजह से वे इस कमेटी में शामिल नहीं हैं। उनके जैसा क्रिकेटर अहं के टकराव के मामले में उलझना नहीं चाहेगा।
1996 में लॉर्ड्स टेस्ट में पदार्पण करने वाले गांगुली और द्रविड़ मध्यक्रम के जोरदार बल्लेबाज होने के साथ-साथ टीम इंडिया के कप्तान भी रहे, लेकिन उनके संबंध मधुर नहीं रहे। गांगुली जब कप्तान थे तब उन्होंने द्रविड़ को 2003 विश्व कप के लिए वन-डे टीम में बने रहने के लिए विकेटकीपिंग करने को मजबूर किया था। 2004 में घरेलू सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में तीसरे टेस्ट में हरी पिच पर अचानक द्रविड़ को टीम की कमान संभालनी पड़ी थी, जब गांगुली ने स्वास्थ्य कारणों से खेलने से इंकार कर दिया था।
पिछले वर्ष गांगुली ने कहा था कि द्रविड़ ने उन्हें बताया कि उन्हें ग्रेग चैपल की सचिन तेंडुलकर को पुन: कप्तान बनाए जाने की योजना के बारे में पता था। लेकिन द्रविड़ ने गांगुली से इस तरह की कोई भी बात होने से इंकार किया था।
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