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....और बल्ले बचाने के लिए इस क्रिकेटर ने डाल दी जान जोखिम में

क्रिकेटर या किसी खिलाड़ी के जज्बे और अपने खेल के प्रति उसका प्रेम इसी बात से जाहिर हो जाता है कि वो ना सिर्फ उस

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 10:04 AM (IST)Updated: Wed, 17 Sep 2014 11:34 AM (IST)
....और बल्ले बचाने के लिए इस क्रिकेटर ने डाल दी जान जोखिम में

नई दिल्ली। क्रिकेटर या किसी खिलाड़ी के जज्बे और अपने खेल के प्रति उसका प्रेम इसी बात से जाहिर हो जाता है कि वो ना सिर्फ उस खेल से बल्कि उससे जुड़ी हर चीज को उतना ही प्रेम करने लगता है। जम्मू-कश्मीर से भारतीय क्रिकेट टीम में आने वाले पहले क्रिकेटर परवेज रसूल के बिजबेहड़ा निवास में जब बाढ़ का पानी घुस गया था तो उनकी सबसे पहली प्रतिक्रिया अपने दो क्रिकेट किट बैग को निकालने की थी। किट बैग को निकालने के लिए रसूल जान की परवाह किए बिना गर्दन तक पानी में चले गए। रसूल ने बाढ़ से प्रभावित दिनों की कहानी बयां की है।

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जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित अनंतनाग जिले से रसूल ने फोन पर कहा, 'पिछले 11 दिन से मैं समाज से पूरी तरह से कटा हुआ था, क्योंकि कोई भी फोन या सेलफोन काम नहीं कर रहा था। कोई इंटरनेट कनेक्शन नहीं था। मेरे और मेरे परिवार के लिए यह लाचारी के हालात थे। ग्राउंड फ्लोर पर बाढ़ का पानी घुस जाने से हम फस्र्ट फ्लोर पर रह रहे थे। मैं आपका फोन इसलिए ले पाया क्योंकि मेरे घर से कुछ दो किमी दूरी से मुझे मोबाइल के सिग्नल मिल रहे हैं। मुझे पता चला कि ऐसी अफवाह चल रही थी कि बाढ़ के कारण मेरा और मेरे परिवार का कोई सुराग नहीं मिल रहा है। यह गलत है, हां, हालात भयावह हैं, लेकिन अभी अनंतनाग में ये बेहतर हैं। मैं अपने सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को बताना चाहता हूं कि हम सुरक्षित हैं। मैं अगले दो दिन में श्रीनगर जाने की योजना बना रहा हूं। मैं रणजी टीम के साथियों से भी संपर्क नहीं कर पाया हूं।'

रसूल ने कहा कि सबसे बुरी चीज थी कि मेरे पसंदीदा बल्लों में से एक मेरी कार में रखे किट बैग में रह गया था। कार पूरी तरह से पानी के अंदर थी और मेरी मां नहीं चाहती थी कि मैं नीचे जाऊं। मैं फिर भी गर्दन तक भरे पानी में गया और इन्हें लेकर आया।' जम्मू-कश्मीर टीम के 25 वर्षीय कप्तान ने कहा कि उन्होंने एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन के साथ राहत कार्य में भी हिस्सा लिया, जो इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों की मदद कर रहा था। संगठन ने यहां बेहतरीन काम किया है, वे लोगों तक खाना, जरूरी दवाइयां और कपड़े पहुंचा रहे हैं, बल्कि हमें भी एनजीओ से ही मदद मिली क्योंकि हम अपने घर के अंदर फंसे हुए थे।

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