इस खिलाड़ी को ऑलराउंडर बनाने में जुटे हैं कप्तान धौनी
खुद को एक बल्लेबाज मानने वाला 31 वर्षीय महाराष्ट्र का यह क्रिकेटर आठ दिन के अंदर ऑलराउंडर बनने की राह पर चल दिया है।
अभिषेक त्रिपाठी, मोहाली। इस सीरीज से पहले केदार जाधव ने भी नहीं सोचा होगा कि वह अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में एक पूर्ण गेंदबाज की तरह गेंदबाजी करते नजर आएंगे। लेकिन भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने ये कर दिखाया और इसका नतीजा सबके सामने है। खुद को एक बल्लेबाज मानने वाला 31 वर्षीय महाराष्ट्र का यह क्रिकेटर आठ दिन के अंदर ऑलराउंडर बनने की राह पर चल दिया है। इस सीरीज से पहले जाधव ने 71 प्रथम श्रेणी मैचों में सिर्फ 215 गेंदें फेंकी थीं और उनके खाते में मात्र एक विकेट था, लेकिन वर्तमान सीरीज में ही धौनी ने उनसे दस ओवर करवाए जिसमें इस पार्टटाइम गेंदबाज ने न्यूजीलैंड के छह विकेट झटक लिए। सुरेश रैना के वायरल के कारण अंतिम एकादश के लिए उपलब्ध नहीं होने के कारण धौनी ने जाधव को मौका दिया और वह न्यूजीलैंड के खिलाफ बल्लेबाजी से ज्यादा गेंदबाजी में चमक गए।
धौनी की पारखी नजर
पार्टटाइम गेंदबाजों का मुख्य गेंदबाज की तरह इस्तेमाल करना धौनी को बखूबी आता है और उसका सबसे ताजा उदाहरण जाधव हैं। जाधव ने पिछले सात अंतरराष्ट्रीय वनडे में एक भी गेंद नहीं फेंकी थी, लेकिन धर्मशाला में इस सीरीज के पहले मुकाबले में धौनी ने अपने मुख्य स्पिनर अक्षर पटेल और अमित मिश्रा से पहले गेंद थमाई और उन्होंने सिर्फ तीन ओवर में छह रन खर्च करके दो विकेट लिए। यही नहीं उन्होंने मैच का रुख बदल दिया। दूसरे वनडे में भी उन्होंने एक विकेट लिया। मोहाली में उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए तीन विकेट चटकाए। वह मौजूदा सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाजों में संयुक्त रूप से दूसरे नंबर पर हैं। तीन मैचों में अमित मिश्रा ने सबसे ज्यादा आठ तो उमेश व जाधव ने छह-छह विकेट लिए हैं। भारत के मुख्य तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमाराह पांच तो स्पिनर अक्षर पटेल सिर्फ एक विकेट झटक सके हैं।
बल्लेबाज के तौर पर चयन
जाधव का इस सीरीज में चयन बल्लेबाज के तौर पर हुआ था। दायें हाथ से ऑफ ब्रेक करने वाले जाधव 84 टी-20 मैचों में भी सिर्फ चार विकेट ही ले सके हैं। जाधव को 16 नवंबर, 2014 को पहला अंतराष्ट्रीय वनडे श्रीलंका के खिलाफ खेलने को मिला। इसमें वह 20 रन ही बना पाए। 2015 में उनको जिंबाब्वे दौरे के लिए भारतीय टीम में जगह दी गई थी। उस दौरे पर उन्होंने छठे क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए शानदार शतक लगाया था। मगर उसके बाद उन्हें भारतीय टीम में मौका नहीं मिला। इस वर्ष एक बार फिर से जब भारतीय टीम धौनी की कप्तानी में जिंबाब्वे गई तो उन्हें याद किया गया और टीम में शामिल किया गया, लेकिन तीनों मैच में उनकी बल्लेबाजी नहीं आई। वहां हुए तीन टी-20 मुकाबलों में से दो में उनको बल्लेबाजी का मौका मिला। पहले टी-20 मैच में उन्होंने 13 गेंदों में 19 रन बनाए। जिंबाब्वे के खिलाफ आखिरी और निर्णायक टी-20 मैच में जाधव की पारी के दम पर ही भारत की लाज बच पाई। उन्होंने 42 गेंदों पर शानदार 58 रन की पारी खेली और टीम को सम्मानजनक स्कोर तक ले गए। जाधव पांच अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैचों में भारत के लिए 22.75 की औसत से 91 रन बना चुके हैं। घरेलू मैचों में भी वह बल्लेबाज के तौर पर ही खेलते हैं। वह 72 प्रथम श्रेणी मैचों में 45.69 के औसत से 4707 रन बना चुके हैं। इनमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 327 रन है। उनके नाम 12 शतक और 18 अर्धशतक हैं।