घरेलू मैचों के पुराने प्रारूप के पक्ष में हैं ज्यादातर रणजी कप्तान
अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी के चलते डीडीसीए से कोई भी बीसीसीआइ के कप्तानों और कोचों के कॉन्क्लेव में शामिल नहीं हो सका।
मुंबई, पीटीआइ। बीसीसीआइ के मंगलवार को हुए कप्तानों और कोचों के कॉन्क्लेव में शामिल हुए ज्यादातर प्रतिभागी तटस्थ मैदान के प्रारूप के एक साल के प्रयोग के बाद रणजी ट्रॉफी मैचों के 'होम एंड अवे' प्रारूप को वापस लाने के पक्ष में नजर आए।
दो घंटे तक चली बैठक के बाद रणजी ट्रॉफी के एक कप्तान ने कहा, 'अधिकतर लोग (कप्तान और कोच) फिर से 'होम एंड अवे' प्रारूप के पक्ष में थे।' बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा, 'बीसीसीआइ टूर्नामेंट के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। दोनों प्रारूपों के समर्थन में विचार रखे गए। इन्हें अब तकनीकी समिति और उसके बाद आम सभा के सामने रखा जाएगा, जो इस पर अंतिम फैसला करेगी।'
उन्होंने कहा कि बैठक में विजय हजारे ट्रॉफी (वनडे) और मुश्ताक अली ट्रॉफी (टी-20) और जूनियर टूर्नामेंटों पर भी चर्चा की गई। खेल, विभिन्न टूर्नामेंट, खेल की परिस्थितियों और खिलाड़ियों के कल्याण से जुड़े सभी पहलुओं पर भी चर्चा हुई। इस बैठक में बीसीसीआइ के पदाधिकारी और सीओए के सदस्य भी मौजूद रहे।
डीडीसीए की ओर से कोई नहीं हो सका शामिल
अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी के चलते दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) से कोई भी बीसीसीआइ के कप्तानों और कोचों के कॉन्क्लेव में शामिल नहीं हो सका। कोच केपी भास्कर और कप्तान गौतम गंभीर इसमें डीडीसीए का प्रतिनिधित्व करने वाले थे। गंभीर को डीडीसीए के प्रशासक जस्टिस (रिटायर्ड) विक्रमजीत सेन ने ईमेल के जरिए सूचित किया था, लेकिन वह बीमार होने की वजह से मुंबई जाने में असमर्थ थे। गंभीर के करीबी सूत्र ने बताया, 'कुछ दिनों से गौतम का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसलिए उन्होंने खुद को कॉन्क्लेव से दूर रखा। उन्हें सोमवार दोपहर करीब दो बजे ईमेल मिला।' वहीं, भास्कर को पहले बताया गया कि बैठक दिल्ली में है, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि यह मुंबई में है।