बड़ा सवाल: कहीं ये सोचकर तो विराट ने नहीं लिया था गेंदबाजी का फैसला?
कप्तान विराट और टीम मैनेजमेंट ने चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल से पहले ही तय कर लिया था कि टॉस जीतकर गेंदबाजी ही करनी है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ जो करारी हार मिली उसने न सिर्फ इस टूर्नामेंट के इतिहास में दोनों टीमों को 3-2 के अंतर पर लाकर खड़ा कर दिया बल्कि कई सवाल भी पीछे छोड़ दिए। इन्हीं में से एक सवाल है टॉस से जुड़ा।
- विराट और टीम मैनेजमेंट का फैसला
कप्तान विराट और टीम मैनेजमेंट ने चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल से पहले ही तय कर लिया था कि टॉस जीतकर गेंदबाजी ही करनी है। विराट ने टॉस जीता और वही फैसला सुना दिया। टॉस के बाद उन्होंने इसकी वजह सामने रखी और कहा, 'पिच सख्त और अच्छी है। ये एक ताजा विकेट है, घास भी छूटी हुई है और मैं चाहूंगा कि गेंदबाज इस स्थिति का फायदा उठाएं। हमे लक्ष्य का पीछा करने में मजा आता है।' जाहिर है कि टीम इंडिया को लक्ष्य का पीछा करते हुए सफल रहने का अच्छा अनुभव है लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि ये फैसला पिच से ज्यादा पुरानी बातों व अपने बल्लेबाजों की सोच को लेकर लिया गया?
- क्या ये थी 2 वजह?
आपको बता दें कि पिछले छह चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट में पांच बार उसी टीम की जीत हुई है जिसने बाद में बल्लेबाजी की है। हालांकि पिछली बार के फाइनल में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड को हराया था। इसके अलावा अगर इस बार के मुकाबलों को देखें तो भारत-पाक फाइनल ओवल के मैदान पर खेला गया छठा मुकाबला था। इससे पहले इस मैदान पर कुल पांच मुकाबले हुए थे जिसमें से रद हुए एक मैच (ऑस्ट्रेलिया-बांग्लादेश) को अगर छोड़ दें तो बचे चार मुकाबले। इन चार मुकाबलों में तीन बार वो टीम जीती जिसने बाद में बल्लेबाजी की और इसमें भारत-श्रीलंका मैच भी शामिल था जहां श्रीलंका ने 7 विकेट से मैच जीता था। सवाल यही है कि क्या विराट ने इन्हीं कारणों से पहले बल्लेबाजी की और पिच से ज्यादा उनका ध्यान आंकड़ों पर था। जिस पिच को कोहली ने गेंदबाजों के लायक बताया उसी पिच पर पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 338 रन बना डाले और बाद में भारत 158 रन पर ही सिमट गया।