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भेदभाव: सूखी बधाइयों से ब्लाइंड विश्व कप विजेता टीम की आंखें हुईं गीली

पाकिस्तान को हराकर दूसरी बार ब्लाइंड टी20 क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम की आंखें सूखी बधाइयों से गीली हो गई हैं।

By Bharat SinghEdited By: Published: Tue, 14 Feb 2017 10:04 AM (IST)Updated: Tue, 14 Feb 2017 10:14 AM (IST)
भेदभाव: सूखी बधाइयों से ब्लाइंड विश्व कप विजेता टीम की आंखें हुईं गीली
भेदभाव: सूखी बधाइयों से ब्लाइंड विश्व कप विजेता टीम की आंखें हुईं गीली

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर दूसरी बार ब्लाइंड टी20 क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम की आंखें सूखी बधाइयों से गीली हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीसीसीआइ, खेल मंत्रलय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय सहित रितिक रोशन और शाह रुख खान जैसे फिल्म स्टारों ने भी भारतीय टीम के कारनामे पर बधाई दी, लेकिन लगातार दूसरी बार देश का नाम ऊंचा करने वाले सितारों को इनाम के नाम पर कुछ नहीं मिला।

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ओलंपिक और क्रिकेट विश्व कप ही नहीं पैरालंपिक में भी पदक जीतने पर करोड़ों की धनवर्षा होती है, लेकिन इस मामले में यह विजेता अभागे साबित हुए हैं। वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट और क्रिकेट एसोसिएशन फॉर दि ब्लाइंड इन इंडिया के अध्यक्ष महंतेश जी. ने कहा कि हमने तो इन्हें सिर्फ तीन लाख रुपये की नकद राशि दी। कर्नाटक सरकार ने जरूर अपने प्रदेश के दो खिलाड़ियों प्रकाश और सुनील को सरकारी नौकरी के साथ सात-सात लाख रुपये दिए हैं, लेकिन बाकी खिलाड़ियों को कुछ नहीं मिला।

आंध्र प्रदेश के एथलीट के ओलंपिक में रजत पदक जीतने पर केंद्र सरकार ही नहीं दूसरे प्रदेश की सरकारें भी करोड़ों दे देती हैं, जबकि इस टीम को सिर्फ बधाई मिली। पिछली बार विश्व कप जीतने पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय और खेल मंत्रलय ने प्रत्येक खिलाड़ी को क्रमश: दो और पांच लाख रुपये दिए थे, लेकिन इस बार एक आदमी ने भी विजेताओं को पैसा नहीं दिया। हम प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।

लोन और उधार से हुआ विश्व कप

लगातार दूसरी बार भारत में ब्लाइंड टी-20 क्रिकेट विश्व कप आयोजित कराने वाले मयंतेश ने कहा कि आयोजन के लिए खेल मंत्रलय ने तो 30 लाख की मदद की, लेकिन समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय से सिर्फ आश्वासन मिला है। पिछले साल बीसीसीआइ के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने एसोसिएशन को एक करोड़ रुपये की मदद करने का आश्वासन दिया था, लेकिन वह भी नहीं मिला।

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बीसीसीआइ और खेल मंत्रलय से हम लगातार मान्यता मांग रहे हैं, लेकिन वह भी हमें नहीं मिली है। पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के ब्लाइंड संघों को वहां के क्रिकेट संघों से मान्यता मिल गई है जिससे वहां की ब्लाइंड टीम को फिजियो, किट, यात्रा भत्ता और अन्य मदद मिल जाती हैं। टूर्नामेंट के आयोजन में करीब 5.5 करोड़ रुपये लगे हैं। इसमें हमने करीब एक करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। कुछ धन हमें प्रायोजकों से मिला। बाकी वेंडर्स से उधार लिया है।

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