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चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब गंवाने के बावजूद हार्दिक पांड्या और शिखर धवन रहे हीरो

भारतीय ओपनर शिखर धवन और ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने चैंपियंस ट्रॉफी में खुद को साबित किया।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 06:35 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 02:40 PM (IST)
चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब गंवाने के बावजूद हार्दिक पांड्या और शिखर धवन रहे हीरो
चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब गंवाने के बावजूद हार्दिक पांड्या और शिखर धवन रहे हीरो

अभिषेक त्रिपाठी, लंदन। टीम इंडिया अपने खिताब को तो बरकरार नहीं रख सकी, लेकिन उसके कुछ खिलाडिय़ों ने इस टूर्नामेंट में हीरो जैसा प्रदर्शन किया। खासतौर से भारतीय ओपनर शिखर धवन और ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने चैंपियंस ट्रॉफी में खुद को साबित किया। शिखर ने तीनों लीग मैच और सेमीफाइनल में शानदार प्रदर्शन किया तो पांड्या के फाइनल के छह गगनचुंबी छक्कों को देखकर हर भारतीय प्रशंसक का दिल बल्लियों उछलने लगा। अगर वह रनआउट नहीं होते तो रिजल्ट को भी बदलने की क्षमता रखते थे। भारत की तरफ से भुवनेश्वर कुमार ने भी पूरे टूर्नामेंट में अच्छी गेंदबाजी की। आइए जानते हैं कैसा रहा इस टूर्नामेंट में भारतीय खिलाडिय़ों का प्रदर्शन।

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शिखर धवन : आइसीसी टूर्नामेंट और खासतौर पर चैंपियंस ट्रॉफी में शिखर धवन का बल्ला हमेशा चलता है। चैंपियंस ट्रॉफी में ही अपने दो शुरुआती शतक लगाने वाले शिखर ने इस संस्करण में सबसे ज्यादा 338 रन बनाए। अब तक हुई आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में वह भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने इस सत्र में भी एक शतक ठोका और बांग्लादेश के खिलाफ सेमीफाइनल में 46 रन की पारी खेली। 

रोहित शर्मा : रोहित शर्मा फाइनल में भले ही शून्य पर आउट हो गए, लेकिन उन्होंने भी इस टूर्नामेंट में 304 रन बनाए। वह इस टूर्नामेंट में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में दूसरे नंबर पर रहे। इसमें सेमीफाइनल में उनके द्वारा खेली गई नाबाद 123 रनों की पारी भी शामिल रही। 

विराट कोहली : भारतीय कप्तान विराट कोहली के लिए बल्लेबाज के तौर पर यह टूर्नामेंट अच्छा रहा। उन्होंने पांच पारियों में 258 रन बनाए। उनका औसत 51.6 का रहा। उन्होंने ये रन 100 से अधिक की स्ट्राइक रेट से बनाए। उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ सेमीफाइनल ने नाबाद 96 रनों की पारी खेली।

हार्दिक पांड्या : हार्दिक पांड्या को इस चैंपियंस ट्रॉफी में छक्कों के लिए याद किया जाएगा। पाकिस्तान के खिलाफ पहले ही मैच में हार्दिक ने दिखाया कि वह जरूरत पडऩे पर किस तरह का क्रिकेट खेल सकते हैं। उस मैच में उन्होंने लगातार तीन गेंदों पर तीन छक्के मारकर छह गेंदों पर 20 रन की आक्रामक पारी खेली थी। इसके बाद फाइनल में भी उन्होंने उस समय भारतीय पारी को संभालने की कोशिश की जब एक छोर से लगातार विकेट गिर रहे थे। पांड्या ने 43 गेंदों पर 76 रन की शानदार पारी खेली। इसमें छह छक्के भी शामिल रहे।

युवराज सिंह : इस चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के आक्रामक बल्लेबाज युवराज सिंह से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं। टूर्नामेंट के पहले मैच में युवराज ने 32 गेंदों पर शानदार 53 रन की पारी खेली। इसमें आठ चौके और एक छक्का शामिल था, लेकिन इसके बाद वह कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। फाइनल में भी वह फुस्स हो गए।

भुवनेश्वर कुमार : चैंपियंस ट्रॉफी में भुवनेश्वर पर भी सबकी निगाहें थीं। स्विंग नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने अपनी लाइन और लेंथ से बल्लेबाजों को परेशान किया। उन्होंने इस टूर्नामेंट के पांच मैचों में सात विकेट लिए। अंतिम मैच से पहले तक उनका रन देने का औसत 4.7 था, जो वनडे के लिहाज से बहुत अच्छा इकॉनामी रेट है। अंतिम मैच में भी केवल भुवनेश्वर ने ही अच्छी गेंदबाजी की। उन्होंने दस ओवरों में दो मेडन रखते हुए 44 रन देकर एक विकेट हासिल किया।

जसप्रीत बुमराह : अगर फाइनल को छोड़ दें तो जसप्रीत बुमराह ने शुरुआती चार मैचों में अच्छी गेंदबाजी की। यही कारण था कि जब कोहली को एक स्पिनर को अंदर करना था तो उन्होंने उमेश यादव को बाहर करके अश्विन को खिलाया, न कि बुमराह को बाहर किया। शुरुआती चार मैचों में उन्होंने चार विकेट लिए। यही नहीं शुरू के ओवरों में कोई बल्लेबाज उनको खुलकर नहीं खेल पाया। शुरुआती चार मैचों में उन्होंने सिर्फ 4.3 रन प्रति ओवर ही खर्च किए, लेकिन अंतिम मैच में चौथे ओवर में एक नो बॉल फेंकना और उसके बाद खराब गेंदबाजी करना उन्हें विलेन बनाने के लिए काफी रहा। फाइनल में उन्होंने नौ ओवर में 68 रन लुटाए और उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला। 

रविचंद्रन अश्विन : ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को शुरुआती दो मैचों में मौका नहीं मिला, लेकिन श्रीलंका से हार मिलने के बाद विराट ने उमेश की जगह अश्विन को खिलाकर टीम संयोजन बदला। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने एक विकेट भी लिया। बांग्लादेश के खिलाफ उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। इसके बाद विराट ने ओवल की पाटा पिच पर उन्हें फाइनल खेलने का मौका दिया, लेकिन उन्होंने उसमें भी खराब गेंदबाजी करते हुए दस ओवरों में 70 रन दिए और कोई विकेट उन्हें नहीं मिला। उन्होंने तीन मैचों में सिर्फ एक विकेट हासिल किया।

उमेश यादव : उमेश ने पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में 7.4 ओवरों में एक मेडन के साथ 30 रन देकर तीन विकेट लिए, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। इसके बाद उन्हें किसी भी मैच में अंतिम एकादश में जगह नहीं मिली। 

रवींद्र जडेजा : इस स्पिनर का पिछली चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की जीत में अहम योगदान रहा था, लेकिन इस बार उनके लिए यह टूर्नामेंट ज्यादा अच्छा नहीं रहा। उन्होंने पांच मैचों में कुल तीन विकेट चटकाए। पाकिस्तान के साथ खेले गए पहले ही मैच में जडेजा ने आठ ओवर में 43 रन देकर दो विकेट हासिल किए थे। श्रीलंका के खिलाफ उनकी गेंदबाजी बेहद खराब रही। उन्होंने छह ओवरों में 52 रन खर्च कर दिए और उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने दस ओवरों में 39 रन देकर एक विकेट हासिल किया, लेकिन टूर्नामेंट के अंतिम मैच में उन्होंने बेहद खराब प्रदर्शन करते हुए आठ ओवरों में 67 रन दिए और उन्हें कोई विकेट नहीं मिला।

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