गावस्कर, शास्त्री और श्रीकांत के नाम उछले
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने व्यावसायिक हित रखने वाले प्रशासकों और संचालकों की जो सूची बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी हैं, उसमें पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर, टीम इंडिया के निदेशक रवि शास्त्री और सौरव गांगुली के नाम शामिल हैं। आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले की कई सप्ताह
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने व्यावसायिक हित रखने वाले प्रशासकों और संचालकों की जो सूची बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी हैं, उसमें पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर, टीम इंडिया के निदेशक रवि शास्त्री और सौरव गांगुली के नाम शामिल हैं। आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले की कई सप्ताह से जारी मैराथन सुनवाई पूरी होने के बाद शीर्ष अदालत ने एन श्रीनिवासन के बीसीसीआइ में भविष्य तथा चेन्नई सुपरकिंग्स के भविष्य पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
बीसीसीआइ द्वारा सौंपी गयी सूची में अनिल कुंबले, कृष्णामाचारी श्रीकांत, वेंकटेश प्रसाद और लालचंद राजपूत के भी नाम देखते हुए न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला की खंडपीठ का गुस्सा फूट पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने हितों के टकराव के मामले पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि हितों के टकराव की गहरी जड़ों ने क्रिकेट को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। एक चयनकर्ता कैसे किसी टीम से जुड़ सकता है...? अदालत ने जानना चाहा कि कमेंटेटर के व्यावसायिक हित खेल से कैसे जुड़े हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ के क्लॉज 6.2.4 में बदलाव पर भी कड़ी आपत्ति जताई। पहले इस नियम के अनुसार बीसीसीआइ के किसी मैच या कार्यक्रम में किसी भी प्रबंधक या प्रशासक का सीधा व्यावसायिक हित नहीं होना चाहिए। बाद में नियम बदल दिया गया और इसमें आइपीएल और चैंपियंस लीग टी-20 को अपवाद की श्रेणी में रख दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, '। अगर आपके आइपीएल में या किसी और प्रारूप में व्यवसायिक हित हैं तो आपके प्रशासन में नहीं होना चाहिए। बीसीसीआइ की ओर से पेश सीनियर वकील सीए सुंदरम सूची सौंपते हुए कहा, 'इनमें से कुछ कमेंटरी करते हैं और कुंबले और श्रीकांत जैसे खिलाड़ी क्रमश: आइपीएल टीम मुंबई इंडियंस और सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर हैं। कोर्ट ने कहा, 'श्रीकांत राष्ट्रीय चयनकर्ता रहे, साथ ही वह सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर भी हैं और यह कैसे संभव है। आप उनको चयन समिति में कैसे शामिल कर सकते थे। आप इसको किस तरह न्यायोचित ठहरा सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को यह सूची उस समय मांगी थी, जब बोर्ड ने बीसीसीआइ के नियम 6.2.4 में विवादास्पद संशोधन का बचाव शुरू किया।