Move to Jagran APP

BCCI के 'बिग बॉस' बनते ही शुरू होगी सौरव गांगुली की 'दादागीरी' की दूसरी पारी, जानिए

पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के सामने चुनौतियों की लंबी लिस्ट है लेकिन उनके पास इससे निपटने का अनुभव भी है...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 08:57 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 08:13 AM (IST)
BCCI के 'बिग बॉस' बनते ही शुरू होगी सौरव गांगुली की 'दादागीरी' की दूसरी पारी, जानिए
BCCI के 'बिग बॉस' बनते ही शुरू होगी सौरव गांगुली की 'दादागीरी' की दूसरी पारी, जानिए

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। चाहे लॉर्ड्स की बालकनी में टीशर्ट उतारना हो या मुख्य कोच ग्रेग चैपल के खिलाफ मोर्चा खोलना... दादा की आक्रामकता कभी कम नहीं हुई। वह एक क्रिकेटर के तौर पर भी आक्रामक रहे और कप्तान के तौर पर भी। हालांकि, जिसने भी उनके खेल और कप्तानी को देखा है उसे उनकी और वर्तमान कप्तान विराट कोहली की आक्रामकता में अंतर साफ-साफ नजर आ जाएगा क्योंकि गांगुली का चेहरा वक्त के साथ भाव बदलता था। उनकी भाव-भंगिमाओं में अतिशयोक्ति नहीं होती थी। वह समय पर सही फैसले लेते थे और यही कारण है कि उनके समर्थक ही नहीं उनके विरोधी भी बीसीसीआइ अध्यक्ष के तौर पर उनके कार्यकाल को लेकर आशाओं के दीप जलाए हुए हैं। उनके इतिहास को देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि बीसीसीआइ का भविष्य कैसा होने वाला है।

loksabha election banner

गांगुली को ऐसे ही दादा नहीं कहते हैं। आज भी उनकी टीम के साथी रहे उनकी इज्जत करते हैं। हरभजन सिंह, वीवीएस लक्ष्मण और युवराज सिंह जैसे उनके साथी आज भी उन पर जान छिड़कते हैं क्योंकि वह अपने साथियों के खराब समय में भी उनके साथ खड़े रहे। दादा कठिन समय में कभी घबराए नहीं और मैच फिक्सिंग के दौर के बाद जब काफी समय तक टीम इंडिया की हालत खराब रही तब उन्होंने भारतीय टीम को जीतना ही नहीं, बल्कि विदेश में लड़ना भी सिखाया। कुछ ऐसी ही हालत वर्तमान बीसीसीआइ की है।

आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले के सामने आने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशासकों की समिति के दो साल से भी ज्यादा क्रिकेट को चलाने के बाद दादा बीसीसीआइ की कमान संभालने जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में बीसीसीआइ की हालत पुरानी टीम इंडिया की तरह हो गई है। जैसे पुरानी भारतीय टीम विदेश में जाकर सकुचा जाती थी, वैसे ही वर्तमान बीसीसीआइ की हालत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के सामने है। जगमोहन डालमिया, शरद पवार और एन. श्रीनिवासन ने बीसीसीआइ का जो रुतबा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाया था अब वह खत्म हो गया है। दादा को उस रुतबे को वापस लाना है और वह ऐसा कर भी सकते हैं क्योंकि उनमें वह माद्दा है।

नेतृत्व में माहिर

दादा की नेतृत्व क्षमता दूरदर्शी होने के साथ अड़ियल भी है। जब टीम को आगे ले जाने की बात हो तो वह किसी की भी नहीं सुनते। उन्होंने कप्तान रहते हुए मध्य क्रम के बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को ओपनिंग पर उतारा था और दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को वनडे टीम में बरकरार रखने के लिए कीपिंग ग्लव्स पकड़ा दिए थे। उनके इन फैसलों की आलोचना भी हुई, लेकिन वह अड़े रहे और बाद में सही साबित हुए। ऐसे ही कुछ नए फैसले वह बीसीसीआइ अध्यक्ष रहते भी कर सकते हैं। घरेलू क्रिकेटरों पर सी पॉलिसी बनाने की बात वह पहले ही कर चुके हैं। उनके ऊपर हितों के टकराव के नियम को भी बदलने की जिम्मेदारी होगी क्योंकि पूर्व क्रिकेटर रहते हुए उन्हें भी इससे दो-चार होना पड़ा था। इसके कारण उन्हें ही नहीं, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को बीसीसीआइ की क्रिकेट सलाहकार समिति से हटना पड़ा था। ऐसे में भविष्य में कोच या अन्य किसी महत्वपूर्ण पद के लिए चुनाव करने के लिए बीसीसीआइ को सीएसी की जरूरत जरूर पड़ेगी। ऐसे में गांगुली इस पर भी कोई अहम फैसला कर सकते हैं।

काम आएगा पुराना अनुभव

गांगुली के पास कप्तानी का ही अनुभव नहीं है, बल्कि वह एक अच्छे प्रशासक भी हैं। वह कप्तान के तौर पर कड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं तो बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष के तौर पर सबको साथ लेकर चलने के लिए भी पहचाने जाते हैं।

यह भी पढ़ें:

सौरव गांगुली को सम्मानित करेगा बंगाल राज्य क्रिकेट संघ, ये दिग्गज खिलाड़ी भी रहेंगे मौजूद

'रवि शास्त्री से क्या आपकी हुई बात', इस सवाल पर सौरव गांगुली ने दिया कुछ ऐसा जवाब


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.